निबंधन व्यवस्था में सरकार ने कर दिया यह संशोधन,इससे जानें क्या होगा लाभ


नए विस्तार और पाश इलाकों के क्षेत्राधिकार वाले उपनिबंधक कार्यालय में भीड़ और बाकी पर सन्नाटा। एक तो जनता को परेशानी और काम में भी गड़बड़ियों की आशंका। इसमें सुधार के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए योगी सरकार ने समवर्ती क्षेत्राधिकार की व्यवस्था लागू करने का निर्णय किया है। तहसील क्षेत्र के किसी एक उप निबंधक कार्यालय में भीड़ होने पर व्यक्ति किसी दूसरे उप निबंधक कार्यालय में रजिस्ट्री करा सकेगा। जल्द ही यही व्यवस्था जिले स्तर पर भी लागू हो जाएगी।
स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल का कहना है कि अलग-अलग क्षेत्राधिकार खत्म होने से काम में सुविधा और पारदर्शिता आएगी। इसके लिए पूरे सिस्टम को आनलाइन किया जा रहा है, ताकि स्वत: काम समानुपात में वितरित हो जाए। विभागीय मंत्री ने रविवार को लोकभवन में पत्रकारों के साथ 100 दिन की उपलब्धियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि पहले बड़े नगरों में स्थित उप निबंधक कार्यालयों में असमान क्षेत्राधिकार और विकसित-अविकसित क्षेत्र होने के कारण एक कार्यालय में बहुत बड़ी मात्रा में लेखपत्र पंजीकरण के लिए प्रस्तुत हो रहे थे।
वहीं, दूसरे कार्यालय में औसत से बहुत कम मात्रा में लेखपत्र आते थे। अधिक लेखपत्र आने से संबंधित कार्यालय में पक्षकारों की अधिक भीड़ एकत्र होती थी और विलंब होता था। सरकार द्वारा उप निबंधक कार्यालयों में अब समवर्ती क्षेत्राधिकार लागू किया है। इससे लेखपत्रों के प्रस्तुतीकरण का काम समानुपातिक रूप से होगा। वर्तमान व्यवस्था से सभी उप निबंधक कार्यालयों में पंजीकरण का काम समान होने से लेखपत्रों का गुणवत्तापूर्ण परीक्षण संभव हो सका है। लोगों को अधिक प्रतीक्षा भी नहीं करनी पड़ रही। सरकार द्वारा प्रदेश के 18 जिलों में स्थित 19 उप निबंधक कार्यालयों के समूह में यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
रविंद्र जायसवाल ने बताया कि उपनिबंधक कार्यालयों में लेखपत्रों के पंजीकरण के लिए एक पटल पर एक साथ कई पक्षकार उपस्थित हो जाते थे, जिससे एक समय में एक पटल पर अधिक भीड़ इकट्ठी होने से पंजीकरण की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती थी। अब प्रत्येक उप निबंधक कार्यालय में टोकन डिस्प्ले सिस्टम शुरू किया है। इससे पक्षकारों को एक स्थान पर बैठकर अपने क्रम की सूचना मिल जाती है। लेखपत्र के पंजीकरण का काम सरलता और पारदर्शिता से हो पा रहा है।
सहज संपत्ति हस्तांतरण को जायसवाल ने विभाग की बड़ी उपलब्धि बताया। कहा कि रक्त एवं वैवाहिक संबंधी दानपत्रों में स्टांप शुल्क में छूट प्रदान की गई है। वर्तमान में दानपत्र पर अधिकतम 5000 रुपये का स्टांप शुल्क लिया जा रहा है। अधिसूचना जारी होने की दिनांक से मात्र 20 दिन में प्रदेश में 15,023 रक्त संबंधी दान विलेखों का पंजीकरण किया जा चुका है, जबकि पहले प्रति माह लगभग 5000 दानपत्रों का ही पंजीकरण हो रहा था। मंत्री ने उप निबंधक कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, स्टांप वापसी की आनलाइन व्यवस्था आदि का भी उल्लेख किया।

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