पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून पड़ा कमजोर, सूरज के तल्ख तेवर बढ़ी गर्मी
पूर्वी यूपी में मानसून कमजोर पड़ गया है। मानसून सीजन होने के बावजूद मजबूत सिस्टम नहीं बन रहा है। इस वजह से बारिश नहीं हो रही है। हल्की बूंदाबांदी जरूर हुई लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही है।आसमान में काले बादलों के नदारद होने से सूरज के तेवर तल्ख हो रहे हैं। गर्मी बढ़ रही है। जुलाई के पहले हफ्ते में तापमान सामान्य से अधिक रह रहा है। लोगों को मई व जून की गर्मी का अहसास हो रहा है। उमस बढ़ गई है। इस वर्ष मौसम विशेषज्ञों ने सामान्य मानसून का अनुमान लगाया था।
मानसून के कमजोर होने से मौसम विशेषज्ञों का यह पूर्वानुमान अब तक सटीक साबित होता नजर नहीं आ रहा है। जून में 152 मिलीमीटर बारिश हुई। जबकि अमूमन जून के महीने में औसतन 185 मिलीमीटर बारिश होती है। यह सामान्य से करीब 20 फीसदी कम है।
जुलाई में मानसून और मेहरबान रहता है। औसतन जुलाई में 353 मिलीमीटर बारिश होती है। जुलाई का पहला हफ्ता बीत जाने के बावजूद मानसून का कोई खास असर नहीं दिखा। हल्की बूंदाबांदी हुई। इस महीने में सिर्फ तीन जुलाई को करीब 10 मिलीमीटर बारिश हुई। जुलाई में अब तक 12.2 मिलीमीटर बारिश ही हुई है। यह बेहद कम है। पहला हफ्ता बीतने के बाद करीब 100 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी।
मौसम विशेषज्ञ केसी पांडेय ने बताया कि यह धरती के बढ़ रहे तापमान का असर है। इसके कारण मानसून चक्र में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। जून में 152 मिलीमीटर बारिश जरूर हुई है। इसमें 70 फीसदी बारिश सिर्फ एक दिन में हो गई थी। इस सीजन में अब तक चार से पांच बार मध्यम बारिश होनी चाहिए थी पर वह नहीं हुई। इससे दिन और रात का तापमान चढ़ रहा है। कोई मजबूत सिस्टम नहीं बन रहा है। जिससे कि बारिश हो सके।
उमस भरी गर्मी ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। एक तरफ खेती-बारी का समय चल रहा है, तो दूसरी ओर मौसम की मार ने बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को जिला अस्पताल में उल्टी-दस्त और पेट दर्द के दर्जनों मरीज डॉक्टरों को दिखाते नजर आए। डॉक्टरों ने कुछ को दवाइयां और ओआरएस घोल लेने की सलाह देकर घर भेजा तो कुछ को भर्ती कर उनका इलाज चल रहा है।
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