अतिक्रमण हटाओ अभियान के पीछे चल रहा खेल अब आमजन के बीच बना चर्चा का बिषय


जौनपुर। प्रदेश सरकार के मुखिया के आदेश के पालनार्थ जनपद में जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर चलायें जा रहे बुलडोजर अभियान की आलोचना अब जिले में सामाजिक स्तर पर होने लगी है। जन मानस को इस अभियान के पीछे भ्रष्टाचार का बड़ा खेल नजर आने लगा है। जनमत है कि बुलडोजर के नाम पर जिले के कुछ प्रशासनिक अधिकारी एवं उनके अधीनस्थ राजस्व के कर्मचारीगण बड़े पैमाने पर धनोपार्जन का खेल शुरु कर दिए है। शहर के लोंगो में इस बात की खास चर्चा है कि राजस्व विभाग में शहरी क्षेत्र के लेखपालो ने तो इस अभियान को अपने लिए दुधारू गाय बना लिया है और जिम्मेदार अधिकारी गण का चुप रहना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। 
शहर में चले बुलडोजर की चर्चा करें तो जिले के प्रशासनिक अधिकारी के उपस्थित में अति संवेदनशील इलाका जेसीज चौराहा से ओलन्दगंज तक चले बुलडोजर में विधायक से लेकर तमाम असरदार और बडें व्यवसायियों के व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं आवास पर बुलडोजर चला लेकिन वहीं पर कुछ ऐसे भी व्यवसायिक प्रतिष्ठान है जो बुलडोजर के दायरे में रहने के बाद भी उनके प्रतिष्ठान तो दूर दरवाजे को खरोचने की जरूरत तेज तर्रार बुलडोजर मास्टर अधिकारी ने नहीं समझा क्यों, यह एक बहुत बड़ा सवाल है। क्या इसका जबाब आम जन को अधिकारी दे सकते है। जनमत पर विश्वास करें तो इसके पीछे बड़ा लम्बा खेल जन चर्चा में है। यदि कहा जाये कि इस इलाके में चले बुलडोजर अभियान में अधिकारी और राजस्व की टीम ने आम जन के साथ भेदभाव किया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।
हलांकि यहाँ पर बुलडोजर चालाते समय जिम्मेदार अधिकारी ने बयान दिया था कि अतिक्रमण हटाये जानें के साथ ही सड़क के चौड़ीकरण और पटरियों के मरम्मती करण का काम शुरु कर दिया जायेगा। बुलडोजर चले दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी नाली अथवा चौड़ीकरण का काम नहीं शुरु हो सका है जिसका परिणाम है कि नालियां बजबजाने लगी है और इस इलाके के प्रभावित व्यापारिक प्रतिष्ठानो के व्यापार पर बुरा प्रभाव नजर आने लगा है। सड़क अथवा पटरियों के मरम्मत का काम भी अभी तक तो खटाई में ही नजर आ रहा है। 
इसी तरह की स्थित कमोबेश चांद मेडिकल स्टोर के पास गली और नाले पर बने निर्माण को ढहाने के बाद वहां पर मलवा पड़ा हुआ है आवागमन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। यहां चर्चा करना चाहेंगे कि जब कानून में कब्जे के आधार पर मालिकाना हक दिये जाने की व्यवस्था है तो जिनके कब्जे 20 सालों से अधिक समय से रहे है उन्हे कानून का लाभ जिला प्रशासन ने क्यों नहीं दिया। आम जनता के उपर एक तरफा कार्यवाई क्यों की गयी। यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। यहां पर यह सवाल है कि आम जन के प्रतिष्ठानो पर बुलडोजर का कहर तो ढहाया जा रहा है लेकिन सत्ता में बैठे जो लोग सरकारी नाले अथवा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करके अपने अठ्ठालिका बनवा कर ऐस कर रहे है ऐसे लोंगो पर सरकार का बुलडोजर कब चलेगा ? या फिर ऐसे लोग बुलडोजर की परिधि से दूर कर दिए गये है। क्योंकि "समरथ के नहीं दोष गोसाई, चाहे कूद परे भरसाई," यह मुहवरा चरितार्थ होगा।
यहां यह भी बता दें कि एक अधिकारी ने शहर के एक नव निर्मित होटल एवं रेस्टोरेंट को नक्शा न बनने के अभाव में पहले सीज कर दिया। लेकिन एक सप्ताह बीतते बीतते आल इज ओके हो गया और सरकारी ताला हट गया जन चर्चा है कि इस घटनाक्रम के पीछे भी बड़े खेल की कहांनी है। जनता अधिकारी के समक्ष भले ही कुछ बोलने से परहेज करे लेकिन आपस में जो चर्चा कर रही है वह बहुत ही अजीब दांस्ता है। आखिर एक सप्ताह में इस होटल एवं रेस्टोरेंट का नक्शा कब और कैसे स्वीकृत हो गया?
शहर के चट्टी चौराहे से लेकर गांव की चौपालो के बीच चर्चा यह भी चल रही है कि सदर तहसील के कुछ लेखपाल जो साहब के करीबी बताये जाते है ऐसे लेखपाल व्यापारियों और कास्तकारों को बुलडोजर महराज से बचाने के लिए साप्ताहिक खासा नजराने की वसूली अभियान में लगे हुए है जहां से जेब गरम हो जाती है वहां तो नक्शा और अभिलेख सब आल इज ओक रहता है। लेकिन जब किसी ने बहस की अथवा जेब गरम करने से परहेज किया तो बुलडोजर महराज की जद में पहुंचाने की धमकी दी जाती है और फिर नजराना तो मिलना तय हो जा रहा है। अधिकारियों के संज्ञान में है अथवा नहीं यह तो अलग बात है लेकिन व्यापारियों इसकी खुसफुसाहट तेज है लेकिन सरकारी तंत्र के दहशत के चलते कोई भी व्यापारी अपना नाम आगे नहीं करना चाह रहा है।इसी तरह का खेल ग्रामीण इलाको में चक मार्ग एवं जीएस आदि की जमीनो के चिन्ही करण की कार्यवाईयों में अपनाया जा रहा है। कानून एक तरफा चलाते हुए जन मानस के बीच दहशत पैदा करके जेब गरम करने के इस खेल की चर्चा आम होती जा रही है। 
यहां पर सवाल यह भी खड़ा होता है कि सरकार जन हित के कार्य के लिए बनी है अथवा अतिक्रमण के आदेश को निर्गत करके आम जन के के शोषण और उत्पीड़न के लिए काम करेगी। साथ ही जिले के जिम्मेदार शीर्ष अधिकारी जनपद में बुलडोजर के नाम पर चल रहे खेल से अवगत होकर इस पर लगाम लगायेंगे अथवा जन शोषण को खुली छूट दे कर खुद सवालों के कटघरे में नजर आयेंगे ?

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