सवाल क्या शिवपाल सिंह यादव भाजपाई बन जायेगे या कुछ और राजनैतिक खेल होगा ?


सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के कुनबे में दरार की खाई अब काफी गहरी हो चुकी है। शिवपाल इन दिनो लगातार राजनैतिक सुर्खियों में है। उनको भाजपा में जाने की अटकलें जोरों पर हैं। अब यहां पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या सचमुच शिवपाल यादव भाजपा के होने जा रहे है। या फिर गठबंधन कर सकते है?
राजनीति के जानकारों का यहां तक कहना है कि शिवपाल के जाने की पटकथा करीब-करीब लिखी जा चुकी है। सपा हाईकमान भी उन्हें मनाने के मूड में नहीं है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शिवपाल 19 अप्रैल या इसके बाद अपने निर्णय को लेकर बड़ा कदम उठा सकते हैं। हालांकि, शिवपाल अथवा भाजपा पदाधिकारियों में किसी ने भी उनको भाजपाई बनने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। प्रसपा की राज्य कार्यकारिणी भंग होने के बाद शुक्रवार से इन चर्चाओं का बाजार फिर गर्म हो गया। अटकलें लगाई गईं कि शिवपाल यादव भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर शुक्रवार को शिवपाल यादव सुर्खियों में रहे। अटकलें चलीं कि 19 अप्रैल को वह दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता लेंगे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में यह ज्वाइनिंग होंगी।
यह भी चर्चा उड़ी कि उनके बेटे आदित्य यादव भी भाजपा का दामन थामेंगे। सूत्रों के मुताबिक, इन चर्चाओं के बावजूद सपा शिवपाल को रोकने के मूड में नहीं है। तकनीकी रूप से वह जसवंत नगर से सपा के विधायक हैं, लेकिन चुनाव से पहले प्रसपा और सपा के बीच गठबंधन हुआ था, विलय नहीं। सपा के कुछ नेताओं का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल के सपा के साथ आने से पहले पार्टी को कोई खास फायदा नहीं हुआ। भविष्य में भी इस लिहाज से उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती। 
उल्टे उनकी मौजूदगी से नुकसान होने की ज्यादा आशंका है। इसलिए सपा न तो उन्हें भाजपा में जाने से रोकेगी और न ही चले गए तो इस पर कोई कड़ी प्रतिक्रिया देगी। विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा विष्ट के भी भाजपा में जाने पर सपा नेतृत्व ने बड़ी ही सधी प्रतिक्रिया दी थी।प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) की राज्य कमेटी और अन्य प्रकोष्ठ कीसभी कार्यकारिणी शुक्रवार को भंग कर दी गईं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने यह निर्णय लिया और कहा कि जल्द आगे की रणनीति तय की जाएगी। प्रसपा के इस कदम के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव भले ही सपा से विधायक  चुने गएहैं पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से उनकी दूरी व नाराजगी साफ नजर आ रही है। चाहे सपा की बैठकों में शिवपाल की अनुपस्थिति हो या दिल्ली में मुलायम सिंह से उनकी मुलाकात, सभी पर तमाम सवाल खड़े हुए। पिछले कुछ दिनों से शिवपाल की भाजपा से नजदीकियां भी साफ नजर आ रही हैं। ऐसे में प्रसपा ने पूरी कार्यकारिणी भंग कर सियासी हवा को तेज कर दिया है। सवाल उठा है कि क्या कार्यकारिणी का दोबारा गठन हो पाएगा या फिर पूरी तरह से भाजपा के साथ हो लिया जाएगा। एक बड़ी बात यह भी है कि अभी तक पार्टी की राष्ट्रीय कमेटी को भंग नहीं किया गया है। जो संकेत करती है कि अटकले बेदम हो सकती है।  

Comments

Popular posts from this blog

सनबीम स्कूल के शिक्षक पर दिन दहाड़े जानलेवा हमला

वार्षिकोत्सव एवं ओपन जिम उद्घाटन समारोह कार्यक्रम हुआ आयोजित

चार पहिया व सभी भारी वाहन मालिक जल्द से जल्द अपना मोबाइल नंबर अपडेट करा ले। एआरटीओ जौनपुर