प्रशासन ने की तिरछी नजर तो एतिहासिक धरोहर से रातोंरात हट गया 40 सालों का अवैध कब्जा
जौनपुर। जिला प्रशासन के शख्त रूख के बाद विगत चार दशक से जिले की एतिहासिक धरोहर को ग्रहण लागाये व्यापारियों ने रातोंरात अपना अतिक्रमण हटा कर एतिहासिक धरोहर को उसकी पहचान के लिए ओपेन कर दिया है। यहां बता दें कि शाही पुल से ही जनपद की पहचान हो जाती है यहां पर हाथी के ऊपर शेर की अनोखी मूर्ति भी है जो जिले की एतिहासिक धरोहर में शुमार है और उसके देख रेख का दायित्व पुरातत्व विभाग का है। इस मूर्ति के चारों तरफ आसपास व्यापार करने वाले लोगों द्वारा विगत 40-45 सालों से कब्जा किया गया था। यहां पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संपत्ति पुरातत्व विभाग की है उसके द्वारा आज तक इस दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं, यहां कब्जा करने वालों ने बकायदा दुकान खोलकर अपनी दुकानदारी चला रहे थे और किराया भी सरकार या पुरातत्व विभाग में नहीं जमा करते रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन की नजर इस धरोहर की दुर्दशा पर पड़ने के बाद शनिवार को अपर जिलाधिकारी भू राजस्व रजनीश राय नगर पालिका प्रशासन एवं पुलिस बल के साथ निरीक्षण किये और संबंधित कब्जाईयों को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया कि वह कब्जा हटा लें अन्यथा प्रशासन अगर अपने स्तर से अवैध कब्जो को हटायेगा तो खर्चा भी कब्जाईयो से वसूला जायेगा। साथ ही नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी और शहर कोतवाल को 24 अप्रैल को बुलडोजर चलाने का हुक्म दे दिया था।
मुख्य राजस्व अधिकारी के तेवर देखकर व्यापारी अवैध कब्जो को हटाने के लिए पूरी रात खुद से हटाने का काम किया। बुलडोजर पहुंचने से पहले एतिहासिक धरोहर स्थल पर किया गया कब्जा हट गया था। यहां पर किये गये अवैध कब्जो के चलते पुल और मूर्ति दोंनो अपना वास्तविक स्वरूप खो चुकी है। ऐसा करने वाले 35-40 साल से दुकान खोले हुए हैं। जिन्हें विगत 7 दिसम्बर 2021 व 31 दिसंबर 2021 को अवैध कब्जा हटाने के लिए नोटिस दिया गया था। हालांकि इस नोटिस के खिलाफ कुछ लोग उच्च न्यायालय इलाहाबाद की शरण में चले गए थे। लेकिन, कोर्ट ने इन्हें कोई राहत प्रदान नहीं किया। इसके बाद भी इस नोटिस का कोई असर कब्जाईयों पर नहीं पड़ा था।दुकाने निर्बाध गति से संचालित हो रही थी।अपर जिलाधिकारी भू-एवं राजस्व के अनुसार कब्जा करने वाले इन लोगों के पास न तो कोई आवंटन है न ही पुरातत्व विभाग की सम्पत्ति पर कब्जा करने की एवज में गत 35-40 वर्षों का कोई किराया सरकार या पुरातत्व विभाग में जमा किया गया है। अवैध रूप से कब्जा करने वालो से किराए की वसूली होगी पुरातत्व विभाग अथवा तहसील के रजिस्टर नंबर चार में किराया जमा करना होगा।
सवा तीन लाख आबादी वाले शहर के बीचों बीच गोमती नदी पर शाही पुल मौजूद है, जो शहर की खुबसूरती में चार चांद लगा रहा है। इस पुल से जनपद की पहचान हो जाती है। इस पुल के मध्य स्थित अनोखी मूर्ति बनाई गई है, जिसपर हाथी के ऊपर शेर है। साथ ही मूर्ति के सामने मस्जिद है। भारतीय पुरातत्व विभाग की सम्पत्ति का स्वरूप नहीं बदला जा सकता है। लेकिन, यहां उसके उलट है। हाथी के ऊपर शेर की मूर्ति के आसपास अवैध रूप से कब्जा करके जिले की एतिहासिक धरोहर पर ग्रहण लगा दिया गया जिसे जिला प्रशासन हटाने में सफल रहा है।
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