देश को समझने के लिए हिंदी है जरूरी - डॉ राम सुधार सिंह
हिंदी को समृद्ध करने का ले संकल्प - प्रो. निर्मला एस. मौर्य
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सोमवार को जनसंचार विभाग तथा भारतीय भाषा संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ की ओर से विश्व हिंदी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उन्नयन में हिंदी भाषा की भूमिका।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि हिंदी के विद्वान और साहित्यकार डॉ. राम सुधार सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति को समझने के लिए हिंदी को समझना बहुत जरूरी है। हिंदी में सभी भाषाओं को अपनाने की ताकत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों के करीब है। नए भारत के निर्माण के लिए विवेकानंद जी की जो इच्छा थी वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाहित है। उन्होंने महात्मा गांधी, भारतेंदु हरिश्चंद्र, फादर कामिल बुल्के का उद्धरण सुनाते हुए कहा कि हम राष्ट्र के प्रति समर्पित पीढ़ी को तैयार नहीं कर पाए नहीं तो हिंदी आज राष्ट्रभाषा होती।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि भाषा संस्कृति और संस्कारों को लेकर चलती है आज के दिन हमें हिंदी को और भी समृद्ध करने का संकल्प लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हम सभी हिंदी भाषा को लेकर तटस्थ नहीं थे जिसके कारण हिन्दी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्नातकोत्तर कक्षाओं में हिंदी की पढ़ाई होती है। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वह एक और भारतीय भाषाओं को सीखें।
अतिथियों का स्वागत भाषण प्रोफेसर मानस पांडेय ने किया। मुख्य अतिथि का परिचय डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने प्रस्तुत किया ।संगोष्ठी का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनील कुमार ने किया।
इस अवसर पर प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. अजय द्विवेदी, प्रो. अविनाश पाथर्डीकर,प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. अशोक कुमार श्रीवास्तव, प्रो.राजेश शर्मा, प्रो. रामनारायण, प्रो. देवराज सिंह, डॉ राजकुमार, डॉ रजनीश भास्कर डॉ. संजीव गंगवार, डॉ मनीष गुप्ता, डॉ अमरेन्द्र सिंह, डॉ अवध बिहारी, सिंह, डॉ. राजीव कुमार, डॉ आलोक दास, श्रीमती बबिता सिंह, डॉ चंदन सिंह, डा.लक्ष्मी प्रसाद मौर्य आदि उपस्थित थे।
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