विधानसभा चुनाव के प्रचार से लेकर सरकारी व्यवस्था तक में इस बार सोशल मीडिया सहित इन्टरनेट का रहेगा वर्चस्व
जौनपुर। इस बार विधानसभा चुनाव में काफी बदलाव नजर आएगा। कोरोना महामारी के कारण चुनाव आयोग ने रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में यह डिजिटल चुनाव होगा। राजनैतिक दलों के बीच वर्चुअल प्रचार की जंग छिड़ेगी। सभी दल वर्चुअल के साथ डोर-टू-डोर प्रचार पर जोर देंगे। इंटरनेट मीडिया फेसबुक, टिवटर व वाट्सएप आदि को भी हथियार बनाया जाएगा।
अब पहले के सापेक्ष चुनाव ज्यादा प्रजातांत्रिक हुआ है लेकिन घरों में विचार अब भी आजादी के लिए छटपटा रहे हैं। परिवार के मुखिया अपने विचार सदस्यों पर थोपने में आज भी सफल हो रहे हैं। भारत निर्वाचन आयोग के सख्त नियम और उनके अनुपालन में सख्ती से चुनाव- दर- चुनाव प्रजातांत्रिक अक्स बढ़ती जा रही है। यह स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए एक अच्छा संकेत है।
भाजपा के जय प्रकाश सिंह ने कहा कि विगत दो साल से कोरोना महामारी के कारण पार्टी के अधिकांश कार्यक्रम वर्चुअल माध्यम से होते रहे हैं। अब यह व्यवस्था व्यवहारिक हो चुकी है। बूथ स्तर पर समिति व पन्ना प्रमुखों के माध्यम से डोर-टू-डोर प्रचार भी किया जाएगा।
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव धर्मेंद्र निषाद ने कहा कि संचार क्रांति का पार्टी सही तरीके से इस्तेमाल करना जानती है। न्याय पंचायत, ग्राम पंचायत व बूथ स्तर के पदाधिकारियों को इससे अवगत कराया गया है। इंटरनेट मीडिया के साथ कोविड गाइडलाइन के अनुसार क्षेत्र में प्रचार किया जाएगा।
सपा जिलाध्यक्ष लालबहादुर यादव ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों का पूरी तरह पालन करते हुए प्रचार की व्यवस्था बनाई जा रही है। पदाधिकारियों के साथ बैठक कर वर्चुअल के अलावा डोर टू डोर जनसंपर्क की रणनीति तैयार की जाएगी। सोशल साइट्स का भी सहारा लिया जाएगा।
बसपा के जिला सचिव डा जेपी सिंह ने कहा कि पार्टी नेतृत्व का निर्देश प्राप्त हुआ है। चुनाव आयोग द्वारा जारी कोविड गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। कार्यकर्ताओं व इंटरनेट मीडिया के सहारे मतदाताओं के घरों तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी। इसकी तैयारी कर ली गई है।
जिला प्रशासन भी शोसल मीडिया सहित इन्टर नेट की व्यवस्था पर खासा जोर दिया है। अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जिला निर्वाचन अधिकारी/ जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने आन लाइन नामांकन की प्रक्रिया बताया था साथ ही वर्चुअल मीटिंग अथवा अन्य व्यवस्थाओ की बात किया है। इस तरह राजनैतिक दलों के प्रचार प्रसार से लेकर सरकारी चुनावी प्रक्रियाओं तक सब कुछ डिजिटल व्यवस्था के तहत होगा। इसलिए लिए इस चुनाव को डिजिटल कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना संक्रमण है।
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