जौनपुर का एक ऐसा गांव जहां आज भी ढिबरी से प्रकाशित होते है ग्रामीण,आखिर बिजली क्यों नहीं पहुंच
जौनपुर। सरकारें गांव गली कूचे आदि के विकास की चाहे जितने दावे करें लेकिन आज कुछ ऐसे गांव है जहां की आवाम ढिबरी के जरिये रात्रि उजाला पाने को मजबूर है। आजाद भारत के ऐसे गांव में आजादी के 75 सालों बाद भी आज तक बिजली का न पहुंचना सरकार सहित शासन प्रशासन सभी को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। जी हां ऐसा गांव जनपद जौनपुर के तहसील मछलीशहर क्षेत्र स्थित का नोनराकला है जो तहसील मुख्यालय से महज पांच किमी दूरी पर स्थित है। यहां आजादी के बाद आज तक बिजली की रोशनी नहीं पहुंच सकी है।इस गांव की आवाम आज भी 18वीं सदी में जीने को मजबूर है। विकास और बिजली के लिए ग्रामीण जनों द्वारा तमाम पत्राचार शासन प्रशासन के पास करने बाद भी गांव रात्रि के अंधेरे में रहता है।
मछलीशहर (सु) विधानसभा क्षेत्र में यह अविकसित गांव आता है और यहां के विधायक जगदीश सोनकर है और सपा शासन काल में 05 साल तक मंत्री भी रहे लेकिन नोनराकला गांव में बिजली की व्यवस्था नहीं कर सके है। खबर है कि 63.54 हेक्टेयर क्षेत्रफल के इस गांव में दो से ढाई सौ की आवादी है। यहां पर आजादी के बाद से आज तक बिजली नहीं पहुंचने से यह गांव अविकसित श्रेणी में आगया है।
देश आधुनिक संसाधन से विकास के नारे जड़ रहा है लेकिन इस गांव नोनरा कला में विकास की किरण ही नहीं पहुंची है। बिजली न होने से यहां पर आधुनिक संसाधन का जबरदस्त आभाव है। सिंचाई की के सहारा इंजन पम्प है जो मंहगाई की भेंट चढ़ा हुआ है। बिजली न होने सबसे खराब प्रभाव शिक्षा पर पड़ा है। बच्चे रात्रि में अंधेरा होते ही सोने को मजबूर हो जाते है। इस समस्या के बाबत गांव के संजय यादव बताते है कि यहां के विधायक जगदीश सोनकर है चुनाव के समय गांव वालो से वादा किये थे कि चुनाव खत्म होते ही इस गांव का विद्युतीकरण करा दिया जायेगा पांच साल बीतने को है सोनकर जी इधर दिखे तक नही बिजली लाना दूर की बात है।
इसी तरह गांव की वृद्ध महिलायें उषा देवी और पियारी देवी का कहना है कि जब हम ब्याह के इस गांव में आये आज तक बिजली के बल्ब का प्रकाश नहीं देखा ढिबरी लालटेन के सहारे रातें ब्यतीत किये है। चुनाव आते ही नेता आकर बिजली देने का वादा करते है चुनाव खत्म नेता जी भूल जाते है। रंजीत यादव बताते है कि बिजली के शासन प्रशासन के पास तमाम पत्राचार किया गया लेकिन किसी भी स्तर से हम गांव वालों की समस्या पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया है। पीएम सौभाग्य योजना के तहत भी इस गांव में बिजली नहीं पहुंचा सकी है। सोलर लैम्प अथवा ढिबरी ही गांव को रात में प्रकाश दे रही है।
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