योद्धा कभी मरते नहीं बल्की अमर हो जाते है - जगदीश नरायन राय


सेना में इजरी गांव का योगदान गौरव का प्रतीक - लालबहादुर यादव 

राष्ट्र की असली धरोहर है शहीद जिलाजीत  - विवेक रंजन


जौनपुर। अमर शहीद जिलाजीत यादव  की प्रतिमा का अनावरण एवं स्मारक का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने अमर शहीद जिलाजीत यादव के मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। शनिवार को अमर शहीद जिलाजीत यादव के पैतृक गाँव इजरी में आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए पूर्व कैबिनेट मंत्री जगदीश नारायण राय ने कहा योद्धा कभी मरते नहीं वो बस अमर हो जाते हैं। जिले के युवा अमर शहीद जिलाजीत यादव के योगदान, जज्बात को कभी नहीं भूलेगा, इस गांव के मार्ग से जब भी कोई गुजरेगा तो बच्चा- बच्चा उन्हें सलाम करते ही निकलेगा। देश के युवा उनके नक़्शे-कदम में चलने का प्रण करेंगे।
सपा के प्रदेश सचिव विवेक रंजन यादव ने कहा कि सरहद पर मां भारती की रक्षा के लिए तैनात सैनिकों का योगदान अनमोल है। उन्होंने कहा की अमर शहीद जिलाजीत यादव राष्ट्र की असली धरोहर है। शहीदों की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इनके बलिदान के चलते ही आज भी देश की सीमाएं सुरक्षित हैं।
सपा जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव ने कहा पुलवामा में बलिदान देने वाले अमर शहीद जिलाजीत यादव  का नाम हमेशा अमर रहेगा। सेना में इजरी  गांव का योगदान गौरव का प्रतीत है। हमें इजरी गांव के आसपास गांवों के प्रत्येक व्यक्क्ति पर गर्व है।
जनवादी पार्टी सोशलिस्टके प्रदेश उपाध्यक्ष बीरबल चौहान ने कहा अपनी जान की परवाह किए बिना सरहद पर लड़ने का जज्बा सभी में नहीं होता, ऐसा सिर्फ अपनी जान की बाजी लगा देने वाले सैनिक ही कर सकते हैं।
समारोह की अध्यक्षता पूर्व जिला  अध्यक्ष रामअवध पाल संचालन रमेश चौबे ने किया।
समारोह को पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजबहादुर यादव, रत्नाकर चौबे, प्रोफेसर बसंत लाल यादव, प्रोफेसर विजय बहादुर,प्रधान मनोज यादव,अशोक यादव,अनिल यादव, शिवसन्त यादव, बृजलाल यादव अजय यादव ,रमेश यादव आदि लोगों ने सम्बोधित किया

शहादत के एक साल भर बाद लगी  प्रतिमा....

अमर शहीद जिलाजीत यादव  की शहादत के साल भर बाद गांव में उनकी प्रतिमा लगाई गई तो मां की आंखों से आंसू बह चले। पहले तो प्रतिमा को देखा और उसे ही गले लगाकर रोने लगी। प्रतिमा के अनावरण के लिए आए सभी नेता भी यह देखकर भावुक हो गए। आखिरकाम मां ने मूर्ति पर फूल चढ़ाए और अपने गम को समेट लिया। 

 

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