मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं, प्राचार्य सहित आउटसोर्सिंग की नौकरी देने वालों के खेल से वैकेन्सी हुई निरस्त
जौनपुर। राजकीय मेडिकल कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ लेकिन इससे जुड़े लोंगो द्वारा नौकरी देने के नाम धनोपार्जन का बड़ा खेल किये जाने का मामला प्रकाश में आने के पश्चात चिकित्सा शिक्षा के प्रदेश स्तरीय अधिकारी ने पूर्व में निकाली गयी सभी रिक्तियो को निरस्त करा दिया है। इस मुद्दे को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन प्रिंसिपल ने सीधे कहा इस मुद्दे पर मीडिया से कोई बात नहीं करनी है।
बता दे मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण करने के पश्चात यहां पर आउटसोर्सिंग के जरिए क्लर्क स्वीपर, वार्डन, फार्मासिस्ट, नर्स आदि पदो पर भर्ती के लिए एक प्राइवेट कम्पनी के जरिये रिक्तियां खोली गयी। फार्म आनलाइन करने के खेल में मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के सह पर कम्पनी द्वारा बड़ा सातिराना खेल करते हुए धनोपार्जन किया जा रहा था। इसकी भनका शासन के अधिकारियों को लगने पर शासन स्तर से सभी वैकेन्सी को निरस्त करने का आदेश निर्गत कर दिया गया।
यहां बता दे कि रिक्त पदो पर भर्ती के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की सह पर आउट सोर्सिंग के तहत नौकरी देने वाली संस्था द्वारा आन लाइन फार्म रात्रि में दो से तीन बजे रात्रि तक ऐसे लोगो का फार्म भरा जाता रहा जिससे नौकरी देने के नाम पर दो से तीन लाख रुपए की वसूली किये जाने की बात होती थी। पूरे दिन साइट को हैग करके रखा जाता रहा ताकि कोई भी आवेदक फार्म न भर सके। जब शासन स्तर पर देखा गया कि सभी फार्म रात दो से तीन बजे आन लाइन भरे गये तो आशंका हुई और सभी वैकेन्सी को ही निरस्त कर दिये जाने की खबर है।
इस पूरे प्रकरण के सन्दर्भ में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य शिव कुमार से उनके मोबाइल नंबर 9451000707 पर फोन कर जानकारी चाही गयी तो जबाब मिला हमे इसके बाबत मीडिया से कोई बात नहीं करनी है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा इस पूरे प्रकरण को लेकर मीडिया से बात करने से परहेज करना संकेत करता है कि दाल में कुछ काला जरूर है। सच तो उच्च स्तरीय जांच के बाद ही सामने आयेगा।
यहां यह भी बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण करते समय घोषित किया कि जल्द यहां पर मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो जायेगी। मुख्यमूत्री योगी जी लगभग हर जनसभा कह रहे है जल्द ही प्रवेश शुरू हो कर पठन-पाठन का काम शुरू हो जायेगा। लेकिन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और आउटसोर्सिंग के जरिए नौकरी देने वाली संस्था अपरोक्ष रूप से सरकार की इस अति महत्वपूर्ण परियोजना पर पानी फेरने मे जुटी है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि मेडिकल कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य खुद इसको प्रारंभ करने के प्रति गंभीर नहीं नजर आ रहे है।
लोकार्पण के बाद से लगभग प्रतिदिन मेडिकल कॉलेज के मुख्य द्वार पर ताला बंद रहता है उसके अन्दर कोई भी व्यक्ति प्रवेश कर ही नहीं सकता तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार लोग इसे लेकर कितने उदासीन है।
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