सीबीआइ ने 24 करोड़ के बैंक फ्राड में रोहताश ग्रुप के ठिकानों पर मारे छापे
केनरा बैंक के 24.82 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने शुक्रवार को रोहताश ग्रुप के संचालकों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। लखनऊ, अयोध्या व गाजीपुर में चार स्थानों पर छापेमारी के दौरान कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सीबीआइ ने लखनऊ में जापलिंग रोड व गोमतीनगर के विवेक खंड स्थित कंपनी संचालकों के आवास के अलावा दो फर्जी गारंटर के अयोध्या व गाजीपुर स्थित ठिकानों पर छानबीन की गई है। सीबीआइ प्रकरण में बैंककर्मियों समेत अन्य आरोपितों की भूमिका की भी छानबीन कर रही है।
सीबीआइ ने 30 नवंबर को रोहतास ग्रुप के संचालकों के विरुद्ध बैंक फ्राड के मामले में एफआइआर दर्ज की थी। जिसके बाद कोर्ट से अनुमति लेकर शुक्रवार को आरोपितों के ठिकानों पर छापे मारे गए। केनरा बैंक, लखनऊ के चीफ मैनेजर अजीत कुमार श्रीवास्तव ने सीबीआइ से इस मामले में शिकायत की थी। शिकायत में कहा गया था कि मेसर्स क्लेरियन टाउनशिप प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स रोहतास प्रोजेक्ट्स व उसके निदेशक लखनऊ के जापलिंग रोड निवासी पंकज रस्तोगी, पीयूष रस्तोगी, परेश रस्तोगी, दीपक रस्तोगी ने गारंटर रुदौली, अयोध्या निवासी जमुना प्रसाद रावत व गाजीपुर निवासी अखिलेश के साथ मिलकर बैंक के 24.82 करोड़ रुपये हड़प लिए। इसके लिए आपराधिक षड्यंत्र रचा गया। बैंक ने सीबीआइ को बताया था कि रोहतास ग्रुप की सहयोगी कंपनी क्लेरियन टाउनशिप है। क्लेरियन टाउनशिप की संपत्तियों को इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पास 21.26 करोड़ रुपये में गिरवी रखा था, जिसका अकाउंट जून 2017 में एनपीए घोषित हो गया था।
कंपनी ने बैंक को बिना कोई जानकारी दिए ही गिरवी रखी गई संपत्तियों को बेच दिया था। सीबीआइ अधिकारियों के अनुसार जांच में सामने आया कि फर्जी गारंटर की मदद से बैंक की रकम हड़पी गई। बैंक में बतौर गारंटर जमुना प्रसाद रावत व अखिलेश के चालकों व अन्य कर्मचारियों को पेश किया गया और उनकी हैसियत के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। उल्लेखनीय है कि बीते दिनों लखनऊ पुलिस ने भी कोर्ट के आदेश पर रोहतास ग्रुप की जापलिंग रोड स्थित संपत्तियों को कुर्क किया था। अब सीबीआइ अपना शिकंजा कस रही है।
Comments
Post a Comment