आइए जानते है सर्दियों में गुण,अलसी और मेवा का लड्डू कितना है लाभकारी,
देश की पारंपरिक आयुर्वेद चिकित्सा रोगों को जड़ से खत्म करने के साथ ही शरीर को अन्य रोगों से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित करती है। सर्दियों के मौसम में हड्डी रोगों में बढ़ोतरी व मूत्र विकार होना आम बात है, लेकिन आपको इससे घबराने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद में कुछ ऐसे नुस्खे हैं, जिसके इस्तेमाल से आप इन बीमारियों से अपनी रक्षा कर सकते हैं और साल भर स्वस्थ बने रह सकते हैं।
लोहिया संस्थान के आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. एसके पांडेय कहते हैं कि सर्दियों में गुड़ का सेवन बहुत लाभकारी है। गुड़, अलसी, तिल और मेवे का बना लड्डू खाने से हमें पोषक तत्वों की कमी वर्ष भर नहीं होती। यह हमें तुरंत ऊर्जा देने के साथ ही साथ मूत्र विकार को भी दूर करता है। इसके अतिरिक्त हड्डियों को भी ताकत प्रदान करता है। दुर्बलता, एनीमिया और जोड़ों के दर्द में रामबाण की तरह काम करता है।
डा. पांडेय कहते हैं कि शरद ऋतु में हमारी जठराग्नि प्रदीप्त होती है। ऐसे में हम जो भी भोजन करते हैं वह बड़ी आसानी से पच जाता है। इसलिए ऐसे मौसम में पौष्टिक वस्तुओं का सेवन कर अपने स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है। इस मौसम में गुड़, तिल, अलसी, सूखा मेवा, जायफल, जावित्री, हल्दी, सोंठ, पिपरामूल,इलायची, अजवाइन, गोंद को भूने आटे में मिक्स कर लड्डू बनाना चाहिए।
इसके सेवन से बैड कोलेस्ट्रॉल में भी कमी आती है। त्वचा दमक उठती है। शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। इससे ठंडक नहीं लगती। इसे खाने से शरीर के लिए अति आवश्यक पोटैशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, विटामिन, ओमेगा-3, फैटी प्रोटीन आयरन इत्यादि प्राप्त होता है। इसके सेवन से मांशपेशियों की ताकत बढ़ जाती है।
इनका सेवन भी लाभकारी : इस मौसम में पालक, चुकंदर, गाजर, बथुआ, सोय़ा-मेथी का सेवन भी बहुत लाभकारी है। इससे पर्याप्त आयरन, कैल्शियम और विटामिन मिलते हैं। बथुआ और चना विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होते हैं। इसे खाने से आंत संबंधी विकार दूर होते हैं। आंतों की चाल भी दुरुस्त रहती है। इस मौसम में रात्रि में खाने के बाद हल्दी युक्त दूध भी बेहद लाभकारी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है। वहीं देसी घी का सेवन पौरुष शक्ति को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त च्यवनप्रास के सेवन से शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों दोषों का नाश होता है।
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