475 दिन से आन्दोलित छात्रो की समस्यों और उनकी मांग पर विश्वविद्यालय प्रशासन का विचार क्यों नहीं ?
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में एक ओर दीक्षांत समारोह आयोजित हो रहा है। तो दूसरी ओर छात्रसंघ बहाली की मांग को लेकर आन्दोलित छात्र नेताओं का पूर्ण कालिक अनशन लगातार 475 वें दिन भी जारी है। आंदोलनकारी छात्र छात्रसंघ भवन गेट के बाहर धरने पर बैठ गए हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ लगातार नारेबाजी कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता दीक्षांत समारोह में आम छात्रों को न बुलाए जाने का भी विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के दौरे के बावजूद आम छात्रों को न बुलाए जाने से नाराज हैं। आन्दोलित छात्रों ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को रद्द किए जाने की मांग कर रहे हैं।
आपको बता दे इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र नेता 5 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलित है। जिसमें छात्र संघ बहाली, कोविड प्रोटोकॉल के पालन के साथ कैंपस को पूरी तरह से खोले जाने, महिला छात्रावास समेत सभी छात्रावासों में आवागमन को लेकर लगे प्रतिबंध हटाए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ आंदोलित छात्रों ने पिछले वर्ष के नव प्रवेशी छात्र छात्राओं को प्राथमिकता के आधार पर छात्रावास आवंटित किए जाने की भी मांग की है। आन्दोलित छात्र नेता कोविड प्रोटोकॉल के साथ सेंट्रल लाइब्रेरी खोले जाने की भी मांग कर रहे हैं। वहीं छात्र नेताओं के धरने और विरोध प्रदर्शन को देखते हुए यूनियन हाल गेट पर भारी तादाद में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
गौरतलब है कि आंदोलन कर रहे छात्रों दीक्षांत समारोह के कार्यक्रम को लेकर के बेहद नाराज हैं। आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के परिसर में उन्होंने हर पर्व को मनाया है और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के दौरान पूरे विश्वविद्यालय में ऐसी बैरिकेडिंग की गई है जैसे यह शिक्षा जगत का क्षेत्र ना हो करके डीजीपी कार्यालय हो। छात्रों का कहना है कि जब विश्वविद्यालय में शिक्षक संघ, कर्मचारी संघ हो सकते हैं तो छात्र संघ को बहाल करने में क्या समस्या है। छात्र संघ बहाली को लेकर आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है कि जब तक विश्वविद्यालय छात्र संघ को बहाल नहीं करेगा तब तक उनका आंदोलन इसी तरह लगातार जारी रहेगा।
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