वाल्दैन की खिदमत करने से बड़ा पुण्य कुछ भी नही : मौलाना शमशाद अहमद
जौनपुर । नगर के बलुवाघाट में रविवार की मरहुमा लेफ्टिनेंट हुसैना बेगम की मजलिस के बरसी को खेताब करते हुए दिल्ली से आये मौलाना सै.शमशाद अहमद रिज़वी ने कहा कि वाल्दैन की खिदमत करने से बड़ा पुण्य कुछ भी नही है । जिस इंसान ने अपने माता पिता की सेवा नही की वो दुनिया मे भी ठोकरे खायेगा और आखरत में भी गुनाह का हकदार होगा ।
मौलाना ने कहा कि हज़रत मोहम्मद साहब ने अपनी बेटी फातिमा ज़हरा को अपने जिगर का टुकड़ा करार दिया था,हजरत फातिमा को तकलीफ देना रसूल को कष्ट देने जैसा है,बावजूद इसके हुकूमत ने उनपर ज़ुल्म ढाया यहाँ तक की उनके घर के दरवाजे को जला दिया गया फ़ातिमा बीबी ने अपने इस्लाम को ज़िंदा रखने के लिये सारी तकलीफ सही पर उफ़ तक नही किया। मजहब-ए-इस्लाम को हम तक लाने वाले का नाम हजरत मोहम्मद है। वहीं दीन-ए-मोहम्मदी को परवान चढ़ाने वाले का नाम हजरत अली है और दीन- ए -इस्लाम को बचाने वाली हैं बीबी फातिमा। जनाबे फातिमा ने समाजी जिंदगी के पहलू को जमाने पर इतना उजागर किया कि औरतें सीरते फातिमा पर चलने लगीं। अगर आज भी उनके बताए रास्ते पर चला जाए, तो किसी घर में आपसी मनमुटाव नहीं हो सकता। इससे पूर्व सोज़ख़्वानी सै.गौहर अली ज़ैदी व उनके हमनवां ने पढ़ा पेशखानी आसिफ़ बिजनौरी,डॉ शोहरत, तनवीर जौनपुरी व शम्शी आज़ाद,मोहम्मद हैदर सैय्यद शहंशाह ने किया। अंजुमन मज़लूमियाँ पोस्तीखाना के नौहेख़्वा अनम हसन ने अपने दर्द भरे नौहे पढ़ कर करबला के शहीदों को पुरसा दिया।इस मौके पर मौलाना महफुजूल हसन खान मौलाना सैय्यद सफदर हुसैन ज़ैदी, मौलाना आबिद रज़ा, मौलाना गुलाम अली खान, मौलाना शौकत हुसैन,सहित अन्य लोग मौजूद थे। सैय्यद अंज़ार क़मर, सैय्यद मंज़र अब्बास,डॉ रज़ा बेग,सै. हसनैन कमर ,सै.हेलाल कमर हेलाल ने आभार प्रकट किया।
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