गांवसभा की पर अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट हुआ शख्त, दिया यह आदेश


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों से अतिक्रमण हटाने के मामले में गांव सभाओं के लापरवाही व गैरजिम्मेदाराना रवैये पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि समय आ गया है कि गांव सभाओं को कुंभकर्णी नींद से जगाया जाए। कोर्ट ने कहा कि गांव सभाओं की चुनाव के समय ही सक्रियता दिखाई देती है, जब कि उसका कानूनी दायित्व है कि सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण न होने दें, और अतिक्रमण हटाएं।
कोर्ट ने बांदा की नरैनी तहसील की बरई मानपुर की एक याचिका पर गांव सभा को निर्देश दिया है कि वह तीन हफ्ते में तालाब से अतिक्रमण हटाने पर कार्रवाई करे। कोर्ट ने अपने दायित्व के प्रति गंभीर न होने पर गांव सभा पर दो हजार रुपए हर्जाना लगाया है। यह राशि याची को चार हफ्ते में दी जाए। कोर्ट ने गांव सभा को राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने की छूट दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने राज कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि उ प्र पंचायत राज एक्ट की धारा 15की 30 हेडिंग में 50 कर्तव्य बताए गए हैं। ग्राम प्रधान, उप प्रधान,व सदस्य न केवल सो रहे हैं अपितु जो उन्हें जगाने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें कोई जवाब नहीं दे रहें हैं।
याची ने तालाब पर अवैध पट्टे को निरस्त कराकर कुछ हद तक सफलता हासिल की है, किन्तु अतिक्रमण हटाने के लिए उसे हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा। गांव सभा नहीं बता सकी कि कार्रवाई क्यों नहीं की। या उसने क्या कदम उठाए। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने जगपाल सिंह केस में सभी राज्यों को अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही करने का निर्देश दिया है और गांव सभा कुंभकर्णी नींद में है।

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