डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को कोर्ट से राहत फर्जी डिग्री की याचिका हुई खारिज
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए दी गई अर्जी स्थानीय अदालत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दी। यह आदेश अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नम्रता सिंह ने आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी की ओर से दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत पेश अर्जी पर उनके अधिवक्ता के तर्कों को सुनने एवं कैंट थाना की आख्या का अवलोकन करने के बाद दिया। अदालत ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने का आदेश रूटीन तौर पर नहीं दिया जाना चाहिए। संज्ञेय अपराध का होना प्रथम दृष्टया जब तक स्पष्ट न हो मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए। इन्हीं निष्कर्षों के साथ एवं लगाए गए आरोपों के संबंध में मत व्यक्त कर प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
अदालत ने आरोपों के संबंध में ये कहा
अदालत ने प्रार्थना पत्र में केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर एक-एक आरोपों के संबंध में अपना मत व्यक्त किया।
पहला आरोप - अदालत ने कहा कि जिन अंकपत्र को आधार बनाकर यह प्रार्थना पत्र दिया गया है वह फोटो प्रति है इसकी प्रमाणित सत्य प्रतिलिपि प्रस्तुत नहीं की गई है और न ही न्यायालय के अवलोकन के लिए पेश की गई, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि जिसकी यह फोटो स्टेट है उसका मूल अस्तित्व में है।
दूसरा आरोप-अदालत ने कहा कि प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया गया है कि केशव प्रसाद मौर्या ने इंडियन ऑयल कारपोरेशन से पंप लेने के लिए जिन कागजातों का उपयोग किया है वह फर्जी है परंतु प्रार्थना पत्र में यह कथन नहीं किया गया है कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन को इस संबंध में उनकी ओर से कोई शिकायत की गई है और ना ही ऐसी कोई शिकायत पेश की गई है।
तीसरा आरोप - अदालत ने कहा कि केशव प्रसाद मौर्या के विरुद्ध यह आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग में नामांकन पत्र के साथ जो शपथ पत्र दिया है वह फर्जी है। किंतु प्रार्थना पत्र में यह कथन नहीं किया है कि चुनाव आयोग में शिकायत की गई है।
यह है मामला
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3 ) के अंतर्गत प्रयागराज के कर्बला निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने अदालत से मांग की थी कि इस प्रकरण में कैंट थाना के प्रभारी को आदेशित किया जाए कि एफआईआर दर्ज कर विधि अनुसार विवेचना करें।
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