भ्रष्टाचार को लेकर उप्र शासन ने छह अफसरों को किया निलंबित, विभाग में मच गया है हड़कंप

 

उ.प्र. राज्य भंडारागार निगम में वर्ष 2018 में अस्थाई कार्मिकों के विनियमितिकरण प्रक्रिया की जांच रिपोर्ट आने के बाद हड़कंप मचा है। तत्कालीन एमडी को निलंबित करने के बाद अब इस प्रक्रिया में शामिल रहे निगम के छह अन्य अफसरों को निलंबित करने का आदेश शासन ने दिया है। छह अफसरों को निलंबित कर अनुशासानात्मक कार्रवाई करने की पत्रावली निगम के चेयरमैन सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को भेजी गई है। उनका आदेश होते ही निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि तत्कालीन प्रबंध निदेशक को निलंबित करने का आदेश शासन ने जारी कर दिया था। सोमवार को निगम के छह अन्य अधिकारियों को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश शासन ने निगम के प्रबंध निदेशक को दिया। 

सहकारिता राज्यमंत्री की शिकायत पर हुई जांच

वर्ष 2018 में निगम में 2001 तक के अस्थाई कार्मिकों के विनियमितिकरण की कार्रवाई की गई थी। विनियमितिकरण में नियमों की अनदेखी की शिकायत मिलने पर तत्कालीन सहकारिता राज्य मंत्री उपेंद्र तिवारी ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से कर दी थी। मुख्यमंत्री के आदेश पर इस पूरे प्रकरण की गहनता से जांच की गई। 
आरक्षण मानकों का उल्लंघन और अपात्रों भी हुए नियमित

सूत्र बताते हैं कि जांच अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विनियमितिकरण में आरक्षण के नियमों की अनदेखी की गई है। पद से अधिक कार्मिकों को नियमित किया गया है। कुछ अपात्रों को भी नियमित किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को शासन ने भंडारागार निगम के एमडी श्रीकांत गोस्वामी को पत्र लिखकर विनियमितिकरण की प्रक्रिया में शामिल रहे छह अन्य अधिकारियों को निलंबित करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया। एमडी ने इस पत्रावली को निगम के चेयरमैन सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के पास भेज दिया है। उनका आदेश मिलते ही छह अन्य अधिकारी इस मामले में निलंबित होंगे। शासन के इस पत्र के बाद निगम में हड़कंप मचा हुआ है। विनियमितिकरण में स्थाई हुए कार्मिकों की बेचैनी बढ़ी हुई है। हालांकि स्थाई हुए कार्मिकों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई का कोई आदेश नहीं है। 

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