चुनाव से पहले फुल एक्शन में बसपा इन चार लोंगो को बनाया पार्टी का प्रवक्ता
यूपी चुनाव को लेकर मायावती और उनकी पार्टी अब फ़ुल एक्शन में है. बीएसपी ने आज चार प्रवक्ताओं के नाम का एलान कर दिया है. मायावती की पार्टी में प्रवक्ता का होना किसी अजूबे से कम नहीं है. पार्टी मे मायावती के अलावा किसी को मीडिया में अपनी बात रखने की आज़ादी नहीं रही है. बीएसपी के राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र को ही कभी कभार पार्टी की तरफ़ से बयान देने की इजाज़त थी. राज्य में घूम घूम कर ब्राह्मण सम्मेलन कर रहे मिश्र को पार्टी की तरफ़ से मीडिया का हेड बनाया गया है. उनका ब्राह्मण सम्मेलन तीसरे चरण में पहुंच गया है. पहले चरण की शुरूआत अयोध्या से और दूसरे चरण की मथुरा से हुई. ब्राह्मण सम्मेलन के चौथे चरण का श्री गणेश चित्रकूट से होगा.
बीएसपी ने जिन चार नेताओं को प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी दी है उनके नाम हैं- धर्मवीर चौधरी, एम एच खान, सुधीन्द्र भदौरिया और फैजान खान. चौधरी ग़ाज़ियाबाद के रहने वाले हैं और जाट बिरादरी के हैं. फैजान खान युवा हैं और ग़ाज़ीपुर ज़िले के रहने वाले हैं. जबकि एम एच खान और सुधीन्द्र भदौरिया पहले से टीवी न्यूज़ चैनलों में डिबेट में पार्टी की तरफ़ से शामिल होते रहते हैं.
इससे पहले भी पिछले विधानसभा चुनाव के समय पार्टी ने चार प्रवक्ता नियुक्त किए थे. उस समय यूपी के प्रमुख गृह सचिव रह चुके नेतराम को भी प्रवक्ता बनाया गया था. लेकिन कुछ ही दिनों बाद सबसे ज़िम्मेदारी छीन ली गई थी. उस समय विधानसभा के चुनाव में बीएसपी की बड़ी हार हुई थी. तब 14 सालों के बाद यूपी में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. बीएसपी की सीटें ज़ीरो से दस हो गई लेकिन समाजवादी पार्टी की सीटें पांच ही रह गईं.
अब मायावती ट्विटर पर भी हैं
बीएसपी में मायावती जो कहें वही सही. सालों तक वे और उनकी पार्टी सोशल मीडिया से दूर रही. लेकिन उनके भतीजे आकाश आनंद के विदेश से पढ़ाई पूरी कर लौटने के बाद बहिन जी का हृदय परिवर्तन हो गया. अब मायावती ट्विटर पर भी हैं. अपनी और पार्टी की राय रखने के लिए वे ट्विटर पर एक्टिव है. वे किसी को फ़ॉलो नहीं करती हैं पर उनके बीस लाख फॉलोवर हैं. मायावती के राइट हैंड कहे जाने वाले सतीश चंद्र मिश्र भी पिछले महीने ट्विटर पर आ गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस हो या फिर चुनावी मंच से भाषण, मायावती हमेशा अपना लिखा हुआ ही पढ़ती हैं. वे खुद ही लिखती हैं
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