सवाल: क्या जिला पंचायत के चुनाव में पार्टी के पराजय में अहम भूमिका निभाने वालों के खिलाफ नेतृत्व कार्यवाई करेगा ?


जौनपुर। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का परिणाम आने के बाद जनपद सपा नेता सवालों के कटघरे में खड़े हो गये है क्या सपा नेतृत्व ऐसा पार्टी को क्षति पहुंचाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकेगा यह एक यक्ष एवं बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इतना तो जरूर है कि यदि ने इसे गम्भीरता से नहीं लिया तो इसका दुष्परिणाम 2022 में विधानसभा के चुनाव में देखने को मिल सकने से इनकार नहीं किया जा सकता है। 
यहां बता दे कि पंचायत चुनाव का परिणाम आने के बाद सपा के लोंगो ने जिलाध्यक्ष सहित अन्य सभी पदाधिकारियों ने बयान जारी किया और सच भी था कि 42 सदस्य समाजवादी विचार धारा के चुनाव जीते थे। उस समय जनपद में सदस्य संख्या बल को देखते हर एक आम जन पुनः सपा के कब्जे की बात करने लगा था। नामांकन प्रक्रिया के बाद सपाईयों ने 44 सदस्यों परेड अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के समक्ष कराके जीत का दम्भ भरा। मतदान के एक दिन पहले होटल रिवर व्यू में सदस्यों की खातिरदारी हेतु जुटान करायी गयी जहां पर 40 सदस्यों को भाग लेने का दावा किया गया। जिसमें सभी नेता गण मौजूद रहे। 
मतदान के बाद गणना हुई तो जीतना तो दूर की कौड़ी महज 12 वोट पर सपा सिमट गयी। आखिर इतनी बड़ी परेड करने वाले सदस्य सपा को वोट क्यों नहीं दिये है। मतगणना का परिणाम आने के बाद सपा के कार्यकर्ताओ ने पूर्व मंत्री गण शैलेन्द्र यादव ललई एवं जगदीश सोनकर के खिलाफ जम कर नारे बाजी किया इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि इन नेताओ ने सपा नेतृत्व को अंधेर में रख कर पार्टी के साथ धोखा किया है ।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस प्रतिष्ठा परक चुनाव में सपाई नेताओ की दलीय निष्ठा कहां चली गयी है। जीती बाजी हारने के पीछे का कारण क्या है। आखिर पार्टी की तरजीह क्यों नहीं दिया गया। इतना तो तय है कि वोटो की भरपूर कीमत वसूली गयी है लेकिन इस कृत्य से किसका नुकसान हुआ इस पर भी समाज में चर्चा शुरू हो गयी है। जनपद में यह भी चर्चा होने लगी है कि अखिलेश यादव 2022 में सरकार बनाने का सपना भले ही देख रहे है लेकिन जनपद जौनपुर के नेताओ जैसे लोंगो के रहते क्या उनका सपना पूरा हो सकेगा यह एक यक्ष प्रश्न है। 

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