सरकार की नाकामियों का परिणाम है नदी में लाशों का बहाया जाना- धर्मेन्द्र निषाद
जौनपुर। कांग्रेस के प्रदेश सचिव धर्मेन्द्र निषाद ने गंगा में बह रही लाशों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा किवर्तमान समय के संक्रमण काल में केन्द्र और प्रदेश की सरकारें जहां जन मानस के जीवन की सुरक्षा करने में पूरी तरह से असफल साबित हुईं हैं वहीं दूसरी ओर अब लाशों को नदी में बहाया जाना यह भी सिद्ध करता है कि सरकार शवों को श्मसान घाटों पर जलवाने में भी फेल हो चुकी है।
श्री निषाद ने कहा कि सरकार जनता के जीवन की सुरक्षा तो नहीं कर पा रही है कम से कम मुर्दों को जलाने की व्यवस्था तो करे।उन्होंने कहा कि जनपद गाजीपुर से लगायत बक्सर तक गंगा नदी में उतरायी लाशें सरकार की नाकामी को प्रमाणित कर रही है। लाशों को नदी में बहाये जाने का तीन मुख्य कारण हैं पहला तो लकड़ियों का संकट, दूसरा लकड़ी की मंहगाई सातवें आसमान पर पहुंचना,तीसरा सरकार द्वारा श्मशान घाटों पर शवदाह उपकरणों को न लगाया जाना माना जा रहा है साथ ही लाशें इतनी अधिक है कि लाईन लगाना पड़ रहा है। इस सबके लिए पूरी तरह से सरकारी मशीनरी एवं सरकार जिम्मेदार है।
श्री निषाद ने आशंका जताते हुए कहा कि नदी में कोरोना संक्रमण से संक्रमित लाशें बहायी जा रही है और नदी के किनारे सबसे अधिक संख्या में मछुआरा समाज के लोग निवास करते हैं। इस लिये यदि कहा जाये कि नदी में बहायी जा रही लाशों से मछुआ समाज को बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। उन्होंने कहा कि क्या सरकार जान बूझ कर मछुआ समाज को संक्रमित कराने के लिए यह कार्य खुद करा रही है। यदि नहीं तो तत्काल इसे गम्भीरता से लेते हुए नदी में लाशों के प्रवाह को रोका जाना चाहिए।
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