हाईकोर्ट की शख्त टिप्पणी यूपी में आक्सीजन की कमी से मर रहे हैं लोग


देश में कोरोना ने हाहाकार मचा दिया है। चारों ओर लोग कोरोना से मर रहे हैं। देश के अस्पतालों में ऑक्सीनज और दावाइयों की भारी किल्लत चल रही है। यूपी का हाल भी इस समय दिल्ली जैसा है। इसे देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह उन अधिकारियों द्वारा 'नरसंहार से कम नहीं है। जिन्हें इसकी आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। इस समय यूपी के कई अस्पतालों में आक्सीन की कमी से लोग दम तोड़ रहे हैं। लखनऊ और मरेठ जिले का हाल बहुत खराब चल रह है। इस देखते हुए अदालत ने लखनऊ और मेरठ के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इनकी 48 घंटों के भीतर तथ्यात्मक जांच करें। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने यूपी में तेजी से बढ़ रहे कोरोना की संख्या के संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। 
इस दौरान हाई कोर्ट ने दोनों जिलाधिकारियों से कहा है कि वे मामले की अगली सुनवाई पर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करें और अदालत में ऑनलाइन उपस्थित रहें। कोर्ट ने कहा कि हमें यह देखकर दुःख हो रहा है कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से कोविड मरीजों की जान जा रही है। यह एक आपराधिक कृत्य है और यह उन लोगों द्वारा नरसंहार से कम नहीं है जिन्हें तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन की सतत खरीद एवं आपूर्ति सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है। लेकिन उन लोगों ने यह भी काम सही से नहीं किया। आपको बताते चले कि कोर्ट ने कहा कि जब विज्ञान इतना आगे है तो इन दिनों हृदय प्रतिरोपण और मस्तिष्क की सर्जरी की जा रही है, ऐसे में हम अपने लोगों को इस तरह से कैसे मरने दे सकते हैं। आमतौर पर हम सोशल मीडिया पर वायरल हुई ऐसी खबरों को जांचने के लिए राज्य और जिला प्रशासन से नहीं कहते, लेकिन इस जनहित याचिका में पेश अधिवक्ता इस तरह की खबरों का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए हमारा सरकार को तत्काल इस संबंध में कदम उठाने के लिए कहना आवश्यक है। रविवार को मेरठ मेडिकल कॉलेज के नए ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में ऑक्सीजन नहीं मिलने से पांच कोरोना मरीजों की जान चली गई। इस तरह लखनऊ के गोमती नगर में सन हॉस्पिटल और एक अन्य निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की नहीं होने की खबरे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इन सभी की जांच किया जाए

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