बिजली उपभोक्ताओं को जोर का झटका देने की सरकारी तैयारी, बढ़ सकते है बिजली के दाम
एक तरफ तो जनता एक तरफ तो कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही है और अपनी जान बचाने के लिए कर्ज में डूबने को मजबूर हैं तो दूसरी ओर बिजली विभाग उपभोक्ताओं को एक बार बिजली का झटका देने की तैयारी कर रहा है। राज्य सरकार रेगुलेटरी सरचार्ज लगाने की तैयारी में है जिसका असर उपभोक्ताओं पर सीधा पड़ेगा। यूपी पावर कारपोरेशन की तरफ इस आशय का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश नियामक आयोग में भेजा गया है जो इस पर अपनी सुनवाई सोमवार को करेगा। इसके बाद यह तय होगा कि बिजली के दाम बढ़ेंगे अथवा पूर्व की भांति ही रहेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद् ने नियामक आयोग में एक याचिका दाखिल कर इस पर अपना विरोध जताया है । याचिका में कहा गया है कि सभी पक्षों को सुनने के बाद वर्ष 2017-18 तक नियामक आयोग ने बिजली कम्पनियो पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओ का 13337 करोड़ निकाला था।
जिसके आधार पर भविष्य में उपभोक्ताओ को लाभ देने की बात कही गयी थी। यह रकम अब सब मिलाकर वर्ष 2020-21 तक लगभग 19537 करोड़ हो गई है। इस दौरान एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षो तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करने अथवा रेगुलेटरी लाभ देने की भी मांग उठाई गई है । उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कम्पनियो ने एक नया षड़यंत्र किया और नियामक आयोग में एक प्रस्ताव दाखिल कर सरकार के एक पुराने पत्र का हवाला दिया है जो निर्णय विद्युत नियामक आयोग ने पूर्व में किया है वह ठीक नहीं है।
अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कम्पनियों पर कुल लगभग 19537 करोड़ निकल रहा है। अब जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओ की बिजली दरों में कमी की बात हो रही है तो देर रात बिजली कम्पनियां उत्तरप्रदेश सरकार के एक पत्र का हवाला देते हुए 3 साल बाद यह कह रही हैं कि उदय का जो लाभ प्रदेश सरकार ने दिया था वो अतरिक्त सब्सिडी के रूप समायोजित किया है। अब तो ऐसा प्रतीत हो रहा केंद्र सरकार प्रदेश सरकार और बिजली कम्पनिया मिलकर प्रदेश के उपभोक्ताओ के बिजली दरों में चोर दरवाजे रेगुलेटरी सरचार्ज लागू करा कर बोझ डलवाना चाहती है। इसीलिए जल्दवाजी में सुनवाई होने जा रही है पर उपभोक्ता परिषद् सभी की पोल खोलकर कर पूरी ईमानदारी से लड़ाई लड़कर जीतेगा।
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