पंचायत चुनाव के दौरान कोरोना से मरने वाले शिक्षकों आंकड़ा छिपाना दुर्भाग्यपूर्ण - अरविंद शुक्ला




प्रदेश में पंचायत चुनाव के समय कोरोना संक्रमण से लगभग 1600 शिक्षकों की हुईं मौत,सरकार मान रही है महज तीन शिक्षकों की मौत कोरोना से हुईं। यह मृतक शिक्षकों के साथ अन्याय है इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।   

जौनपुर। कोरोना महामारी के संक्रमण काल में संपन्न पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान पूरे प्रदेश में 1600 से अधिक शिक्षक ,कर्मचारी संक्रमित हुए । जिले के 41 शिक्षकों सहित दो परिचारकों ने अपनी जान को गंवाना पड़ा। इन शिक्षकों व परिचारकों को कोरोना से हुई मौत के संबंध में जिस क्षतिपूर्ति का ऐलान किया गया था वह तो दिया नहीं जा सका बल्कि इनकी मौत को सरकार के जिम्मेदारों ने स्वाभाविक मौत  करार देते हुए पल्ला झाड़  लिया है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। बेसिक शिक्षा विभाग व प्रदेश सरकार के इस असंवेदनशील रवैए पर आक्रोश जताते हुए प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा की पूरे प्रदेश में महज 3 शिक्षकों की कोरोना संक्रमण के चलते मौत स्वीकार किया जा रहा है। जबकि चुनाव प्रशिक्षण से लेकर मतगणना तक चुनावी ड्यूटी करने वाले शिक्षकों में यहां जनपद जौनपुर में  ही 41 शिक्षक वह दो परिचारक अपनी जान गंवा बैठे हैं। 
उन्होंने कहा कि सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग का पैमाना चाहे जो हो लेकिन महामारी के चलते बड़ी तादाद में जान गंवाने वाले इन शिक्षकों की मौत कोरोना संक्रमण से होना ना माना जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री शुक्ला ने शासन से मांग की है कि प्रशिक्षण से मतगणना तक की समयावधि में मृत एवं संक्रमित होकर बाद में भी जान गंवाने वाले शिक्षकों व परिचारकों के स्वजनों को उचित मुआवजा व आश्रितों को तत्काल नौकरी देकर पीड़ित परिवार के घाव पर मरहम लगाया जाना चाहिए। साथ ही यह भी चेताया कि यदि इस संवेदनशील मामले में न्याय न हुआ तो संगठन हर स्तर पर मृत शिक्षको के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए संगठन वह सब कुछ करेगा जिसका आवश्यकता होगी। किसी भी स्तर तक जा कर लड़ाई लड़ी जा सकती है। 

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