पंचायत चुनाव पर बढ़ते कोरोना संक्रमण का क्या होगा असर, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
जौनपुर। इस समय प्रदेश में पंचायत चुनाव की धूम मची हुई है और कोरोना का भी प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। अब प्रदेश में हो रहे पंचायत चुनाव को लेकर लोगों के मन में तरह तरह की आशंकायें पैदा हो रही है। सोशल मीडिया पर लगातार लोग अपनी राय रख रहे हैं। बढ़ी संख्या में लोग ट्विटर,फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से अपील भी कर रहे हैं कि कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे, और पूरी पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को रोकने का काम करें।
इस समय पूरे प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर प्रचार का दौर अपने चरम पर चल रहा है। चिंता इस बात को लेकर की जा रही है कि शहरों की अपेक्षा गांव में न तो प्रशासन का अधिक हस्तक्षेप हो पाता है और न ही वहां कोरोना को लेकर जन जागरुकता है। आशंका इस बात को लेकर व्यक्त की जा रही है कि कही कोरोना गांव तक न पहुंच जाए। क्योंकि इस बात की चिंता देश प्रधानमंत्री मोदी भी स्वयं व्यक्त कर चुके हैं कि यदि गांवों में कोरोना पहुंच गया तो हालात बेहद खराब हो जाएगें।
खबर है कि अभी हाल ही में रायबरेली के एक गांव में एक वृद्वा की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। पंचायत चुनाव में मतदान के पूर्व क्षेत्र के अनेक गांवों में हजारों की संख्या में लोगों ने विभिन्न माध्यमों से अपना टिकट आरक्षित करा लिया है। इस समय महानगरों में कोरोना का प्रकोप तेजी के साथ बढ़ने लगा है। ऐसे में लोगों की आशंका है कि कहीं मतदान के लिए बड़ी संख्या में प्रवासियों के आने से कोरोना का ग्राफ और अधिक न बढ़ जाए। इतना ही नहीं प्रदेश का ऐसा कोई गांव नहीं है जहां बड़ी संख्या में प्रवासी न आ रहे हो। यह गांवो में संक्रमण बढ़ने का बड़ा कारण माना जा रहा है।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को देखते हुए उन कर्मियों के घर वाले ज्यादा तनाव में हैं, जिनकी ड्यूटी मतदान कराने में लगी है। इसमें तमाम महिलाओं की ड्यूटी लग गई है। वे ड्यूटी कटवाने के लिए परेशान हैं। जगह-जगह से सिफारिश भी कर रही हैं लेकिन प्रशासन नहीं मान रहा है। वहीं दूसरी कोरोना संक्रमण को लेकर हाईकोर्ट में यूपी सरकार अपनी अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है। संक्रमण वाले जिलों में नाइट कर्फ्यू के साथ इस बात का आश्वासन दिया है कि सरकार, पंचायत चुनाव में कोविड नियमों का पालन करेगी। साथ ही सार्वजनिक कार्यक्रमों की गाइडलाइन जारी करेगी। इसके अलावा भीड़ रोकने के लिए संख्या सीमित की गई है। यूपी सरकार की रिपोर्ट पर 19 अप्रैल को फिर इस मामले में सुनवाई होनी है।
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