जौनपुर जिला अस्पताल गेट पर तड़पते मरीजों की फोटोज बता रही है व्यवस्था का सच



जौनपुर। कोरोना संक्रमण कोरोना लेकर प्रदेश सरकार के मुखिया भले ही रोज एक शख्स आदेश निर्गत कर रहे हैं कि इस महामारी से प्रदेश की जनता को बचाया जा सके। लेकिन अधिकारी अथवा सरकार के अधीन प्रशासनिक तंत्र मुख्यमंत्री के आदेश का पालन करने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। जिसके कारण कोरोना संक्रमण लोगों को असामयिक मौत मुंह लगातार डाल रहा है। 
यहां बतादे कि बीते 28 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने लखनऊ में अपनी टीम 11 के साथ बैठक कर आदेश जारी किया है कि सरकारी अथवा निजी अस्पतालों में मरीजों की भर्ती के लिये नोडल अधिकारी व्यवस्था देखेंगे। साथ ही यह भी कहा है कि सरकारी अस्पतालों के बाहर अगर मरीजों को आक्सीजन लगा पाया गया तो सीधे डीएम और सीएमओ जिम्मेदार ठहराये जायेगे। इसकी मानीटरिंग मुख्य सचिव के द्वारा की जायेगी। 
मुख्यमंत्री के इस आदेश के पालन का सच जानने के लिए जनपद जौनपुर के जिला अस्पताल में सच खबरें की टीम पहुंची तो वहां का नजारा देख आश्चर्य चकित रही कि सीएम के आदेश का पालन यहां नहीं हो रहा है। मरीज अस्पताल के बाहर पोर्टिको में आक्सीजन लगाये जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहे है। मरीजों के साथ वालों ने बताया कि सुबह से शाम हो गयी कोई नोडल अधिकारी यहाँ पर मरीजों की देख भाल करने के लिए नहीं आया है। मरीज जहां उपचार के लिए तड़प रहे है वहीं उनके परिजन चिकित्सकों की खोज में एड़ियां रगडते दिखायी दिये हैं। 
यहां यह भी बता दे कि शासन का आदेश जारी होने के बाद जनपद के जिलाधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कराने के नोडल अधिकारियों की तैनाती भी 28 अप्रैल को करके सभी को सूचित कर दिया गया था। सरकारी जिला अस्पताल के मैनेजमेंट का नोडल अधिकारी मुख्य विकास अधिकारी को बनाया गया है। जो अस्पताल सायं काल तक नहीं पहुंच सके थे और मरीज अस्पताल की चौखट पर आक्सीजन लगा कर उपचार के अभाव में पड़े हुए हैं। मरीज राम आसरे यादव एवं उषा प्रजापति के परिजनों ने बताया कि सुबह से शाम हो गयी कोई नोडल अधिकारी अथवा चिकित्सक मरीज का हाल जानने अथवा दवा आदि की व्यवस्था करने नहीं आया है।
इस तरह जिला अस्पताल के फोटोज यह तो साफ करते हैं कि सरकार के अधीन सरकारी तंत्र के लोग प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश के प्रति कितने गम्भीर है। 

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