सवालःपंचायत चुनाव में पार्टी के विरोधी कृत्य के आरोप में दल से निकाले गये क्या सचमुच भाजपायी रहे ?



जौनपुर। पंचायत के चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशीयों के खिलाफ चुनाव लड़ने अथवा विरोधी भाजपाईयों को प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति से पार्टी से निकालने का शख्त कदम उठाने का संदेश भाजपा की जिला कमेटी इकाई ने जारी एक विज्ञप्ति के जरिए देते हुए 52 भाजपा के लोगों को पार्टी से बाहर करने का दावा किया है। सूची के अध्ययन से पता चला है कि वार्ड संख्या 32 से सुमन द्विवेदी और उनके पति मनोज द्विवेदी का नाम है। यह सही है कि इनके परिवार की सदस्य सीमा द्विवेदी भाजपा की नेता है और वर्तमान समय में भाजपा की  राज्य सभा सदस्य भी है। लेकिन सुमन अथवा मनोज कभी भाजपा के सदस्य के रूप में सामने आये ही नहीं तो पार्टी से बाहर निकालने के पीछे का खेल कुछ अलग संदेश देता है। 
हालांकि यदि सुमन अथवा मनोज पार्टी समर्थित  प्रत्याशी का विरोध मान भी लिया जाये तो अपने परिवार के बड़े भाजपा नेता यानी राज्य सभा सांसद की मर्जी के बगैर सम्भव नहीं हो सकता था। लेकिन पार्टी के प्रदेश नेता अथवा जिले के नेता असली जिम्मेदार को कसौटी पर नहीं लिया और जो पार्टी का अधिकृत सदस्य नहीं था उसे पार्टी से बाहर करने की तीर चला कर कड़ाई का संदेश दिया है। 
इसी तरह इस निष्कासन की सूची में एक नाम और है शीला सिंह और उनके पति इन्द्रबहादुर सिंह जिन्हें वार्ड संख्या 14 से भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने के आरोप में पार्टी से बाहर करने की विज्ञप्ति जारी किया गया है। इनके बिषय में यह है कि इन्द्रबहादुर सिंह भाजपा के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के चाचा है जरूर लेकिन कभी भी भाजपा के किसी मंच पर इनकी सहभागिता नहीं नजर आयी। हां भतीजा को जिलाध्यक्ष होने के नाते भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी होने की जुगत लगाया और जब भाजपा ने इनकार कर दिया तो अकेले पंचायत चुनाव में कूद पड़े हैं। 
भाजपा जिलाध्यक्ष के चाचा है जरूर लेकिन लम्बे समय से अलग अपना बिजनेस आदि चला रहे हैं और इनकी नजर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर है।इस तरह इन्हें भी पार्टी से बाहर करने का औचित्य समझ के परे है। इसके पीछे खेल जो भी हो लेकिन उपरोक्त जिन्हें पार्टी से बाहर करने का दावा किया जा रहा है उनकी सेहत पर भाजपा के निर्णय का कोई असर दृष्टि गोचर नहीं है।  

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