प्रियंका यादव की मौत ने शासन प्रशासन सहित सरकार के कार्यशैली की खोली पोल,सब ईश्वर के अधीन
जौनपुर। जनपद में कोरोना संक्रमण से पीड़ित एक 35 वर्षीय महिला की मौत आक्सीजन की व्यवस्था न होने से हो गयी है। इस घटना ने एक बार फिर जिला प्रशासन सहित स्वास्थ्य विभाग और प्रदेश सरकार के दावों की पोल खोल कर रख दिया है। महिला के परिजन लगभग चार से पांच घन्टे तक सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में आक्सीजन के लिए मरीज लेकर भटकते रहे किसी ने न तो मरीज को भर्ती किया न किसी भी स्तर से आक्सीजन की व्यवस्था करायी जा सकी पांच घन्टे तड़पने के बाद आखिरकार काल के गाल में समा गयी। मरीज के परिजन रोते विलखते लाश लेकर वापस घर को लौटने के लिए मजबूर हो गये।
पूरी कहानी तफसील से इस प्रकार हैं प्रियंका यादव पुत्री उमा शंकर यादव ग्राम उत्तरगावां को कोरोना संक्रमण संक्रमित होने के कारण आज प्रातःकाल सांस लेने में भारी तकलीफ होने के बाद परिवार के लोग मरीज को लेकर पहले जिला अस्पताल गये वहां सीधे मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया गया। इसके परिजन मरीज को जिला प्रशासन द्वारा नामित प्राइवेट अस्पतालों ईशा अस्पताल, सुनीता अस्पताल, और कमला अस्पताल लेकर गये वहां पर एक जबाब मिला आक्सीजन हमारे पास नहीं है इसलिए हम भर्ती नहीं करेंगे।
इसके बाद इस मरीज को लेकर जिला प्रशासन द्वारा नामित प्रभारी अधिकारी जनों से बात किया गया ताकि महिला का उपचार संभव हो सके। प्रभारी अधिकारी के कहने पर ट्रामा सेन्टर एल टू अस्पताल के प्रभारी कमलेश मौर्य से बात कर गुहार लगाया गया तो उन्होंने मरीज के उपचार हेतु भर्ती करने के बजाय नियम कानून बता दिया कि बगैर किसी सरकारी अस्पताल से रेफर कराये भर्ती नहीं किया जा सकता है। यहां मरीज को बचाने से ज्यादा नियम कानून को तरजीह दिया गया। मरता क्या न करता मरीज के परिजन रेफर कराने के लिए चक्कर लगा रहे थे इसी बीच उपचार के अभाव में महिला की सांसे थम गयीं।
यहां बतादे कि इसी बीच मुख्यमंत्री की ओर से अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल द्वारा जारी एक सूचना जो शोसल मीडिया पर वायरल है जिसमें कहा गया है कि मरीज अस्पताल से वापस न किये जायें उपचार का खर्च सरकार देगी आदि है पर नजर पड़ने पर उसमें मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री द्वय के फोन नंबर पर काल करके पीड़ित के परिजन उपचार में सहायता चाह रहे थे लेकिन जितने भी फोन नम्बर दिये गये थे किसी भी नम्बर से कोई रिस्पांस नहीं मिला। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि सभी नम्बर केवल प्रदेश की जनता को गुमराह बनाने के लिए जारी किया गया है। उसका कोई रिस्पांस नहीं मिल सकता है।
इस तरह प्रियंका यादव को लेकर जितनी भी सरकारी मशीनरी को खटखटाया गया सब ढाक के तीन पात ही नजर आया कहीं से इस कोरोना काल में आम आदमी को कोई सुविधा अथवा सहायता नहीं मिल रही है।
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