आक्सीजन की भारी कमी और चिकित्सकों की लापरवाही कोरोना मरीजों के उपचार में बाधा



जौनपुर।  कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों के उपचार में आक्सीजन सबसे महत्वपूर्ण उपचार माना जा रहा है। लेकिन जनपद में आक्सीजन की भारी कमी मरीजों के लिए एक जबरदस्त संकट की स्थिति खड़ा कर दिया है। हलांकि सरकारी महकमा खास कर स्वास्थ्य विभाग दावा करता फिर रहा है कि आक्सीजन की कमी नहीं है लेकिन आक्सीजन के अभाव में मरीज मर रहे है इसका कोई जबाब किसी के पास नहीं है। तब भगवान के उपर छोड़ने की बातें हो रही है। 
कोरोना संक्रमण के मरीजों के उपचार हेतु जिला प्रशासन ने एल 2 के लगभग एक दर्जन अस्पतालों को अधिग्रहित किया और चिकित्सकों का नम्बर भी वायरल किया साथ सीएमओ ने उपचार के लिए खर्च का भी निर्धारण किया और दवा किया था कि प्राइवेट अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था किया जाने से मृत्यु दर को रोका जा सकेगा। सीएमओ के दावे के सच की पोल तब खुल गई जब जनपद के ईशा अस्पताल में भर्ती एक मरीज के उपचार के बाबत जानकारी किया गया। 
यहां बतादे कि यहां भर्ती एक मरीज के उपचार हेतु बात करने का प्रयास करने पर पता चला कि  इस अस्पताल के जिम्मेदार  चिकित्सक डा रजनीश श्रीवास्तव का सम्पर्क नम्बर बन्द है। इसके बाद कंट्रोल रूम सहित जिला प्रशासन एवं सीएमओ से यहाँ की व्यवस्था पर बात किया गया तो कुछ समय बाद डाक्टर मरीज के पास गये फिर परिजनों से सीधे कहा कि आक्सीजन नहीं है प्रशासन पर आरोप जड़ दिया कि स्वास्थ्य विभाग आक्सीजन देगा तभी उपचार संभव है।हलांकि ईशा अस्पताल के बारे में सर्वविदित है कि वह मरीजों के प्रति कितने गम्भीर रहते हैंअक्सर इस अस्पताल की लापरवाहियां चर्चा में रहती है फिर इतनें गम्भीर बिमारी के उपचार हेतु व्यवस्था में ले लिया गया है।  
इस तरह इस चिकित्सक की बात पर विश्वास करें तो जनपद में आक्सीजन की भारी कमी है। इतना ही नहीं जिला अस्पताल के एल 2अस्पताल में पता किया गया तो वहां भी आक्सीजन की समस्या का रोना रोया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि जिले में आक्सीजन जो मरीजों के उपचार हेतु बेहद जरूरी है की भारी कमी है। सीएमओ कहते हैं कि जिसे जरूरत होती है वह मांग करता है फिर आक्सीजन दी जा रही है। सच यह भी है आक्सीजन की आपूर्ति जनपद प्रयागराज से करायी जा रही है ऐसा सरकारी सूत्र बताते हैं। 
यहां एक समस्या और भी है कि जनपद अभी तक कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज हेतु एल 2 तक के अस्पताल की व्यवस्था की गयी है। जबकि इस महामारी से निपटने के लिए एल 3 अस्पताल की शख्त आवश्यकता है लेकिन जिले में एल 3 अस्पताल है ही नहीं।इस तरह भौतिक धरातल पर व्यवस्था और सरकारी दावे के बीच भारी अन्तर है ऐसे में कोरोना संक्रमित मरीज भगवान भरोसे है ऐसा प्रतीत हो रहा है। साथ ही सरकारी दावे सवालों के कटघरे में नजर आ रहे है।   

Comments

Popular posts from this blog

इंजीनियर आत्महत्या काण्ड के अभियुक्त पहुंच गए हाईकोर्ट लगा दी जमानत की अर्जी सुनवाई सोमवार को फैसले का है इंतजार

त्योहार पर कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने एवं हर स्थित से निपटने के लिए बलवा ड्रील का हुआ अभ्यास,जाने क्या है बलवा ड्रील

जानिए इंजीनियर अतुल सुभाष और पत्नी निकिता के बीच कब और कैसे शुरू हुआ विवाद, आत्महत्या तक हो गई