कोरोना पर हाईकोर्ट का संज्ञान, उत्तर प्रदेश में हो सकता है लाकडाउन पर विचार


अब लगभग पूरे देश में कोरोना की दूसरी लहर ने पांव पसार लिया है। सभी प्रान्तों में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। पिछले दिन 24 घटें में एक लाख से अधिक कोरोना केस आए। जो सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है। बता दें कि कोरोना के बढ़ते हुए मामले को देख कर सरकार ने कई जिलों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है तो वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में कोरोन संक्रमण को देखते हुए प्रभावित शहरों में राज्य सरकार को दो या तीन हफ्ते के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करने का निर्देश दिया है।गौरतलब है कि कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते हुए मामले को देखकर कहा कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखायी न दे। अन्यथा कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना कार्यवाही करेगी। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि धार्मिक समारोह में 50 आदमी से अधिक लोग इकट्ठा न हो। वहीं याचिका पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी। 
कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देखते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा कि सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग व ट्रीटमेंट योजना मे तेजी लाये और शहरों मे खुले मैदान में अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करे। जरूरत पड़ने पर संविदा पर स्टाफ तैनात किया जाए। उन्होंने कहा कि नाइट कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम है। 
कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इंसान जीवन रहेगा तो अर्थ व्यवस्था भी दुरूस्त हो जायेगी आपको बता दें कि कोरोना के कारण अर्थ व्यवस्था में भारी गिरावट आई है। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि इंसान जीवन रहेगा तो अर्थ व्यवस्था भी दुरूस्त हो जायेगी। जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा। फिलहाल लॉकडाउन लगाना सही नहीं है। इसपर विचार करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की 11 अप्रैल की गाइडलाइंस को सभी जिला प्रशासन को कड़ाई से अमल में लाने का निर्देश दिए हैं। और अगली सुनवाई की तिथि 19 अप्रैल है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि हर 48 घंटे में संक्रमति जोन को सेनेटाइजेशन किया जाय और यूपी बोर्ड की ऑनलाइन परीक्षा दे रहे छात्रों की जांच करने पर बल दिया जाये।

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