फिर एक सरकारी कंपनी का बिकने जा रहा है सरकारी शेयर, कई खरीदारों ने दिखाई दिलचस्पी





सरकार नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) में सरकारी हिस्सेदारी बेच रही है।

केंद्र सरकार नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) में हिस्सेदारी बेंच रही है।
निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहीन कांत पांडे ने द्वारा जारी एक पत्र से बताया गया है कि सरकार को नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (एनआईएनएल) के निजीकरण को लेकर कई बोलीदाताओं से रूचि पत्र मिले हैं। पांडे ने ट्विटर पर भी लिखा है, ‘‘नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड के निजीकरण के लिये कई रूचि पत्र मिले हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया अब दूसरे चरण में आ गयी है। दीपम ने एनआईएनएल में रणनीतिक बिक्री को लेकर जनवरी में प्रारंभिक बोलियां आमंत्रित की थी। आपको बता दें कि एनआईएनएल, एमएमटीसी, एनएमडीसी, भेल, मेकॉन और ओड़िशा सरकार के दो उपक्रमों की ज्वाइंट वेंचर है।
बता दें कि पिछले साल जनवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एनआईएनल में एमएमटीसी (49.78 प्रतिशत), एनएमडीसी (10.10 प्रतिशत), मेकॉन (0.68 प्रतिशत), भेल (0.68 प्रतिशत), आईपीआईसीओएल (12 प्रतिशत) और ओएमसी (20.47 प्रतिशत) के इक्विटी शेयर के रणनीतिक विनिवेश को मंजूरी दी थी। इस बीच, एयर इंडिया, बीपीसीएल, पवन हंस, बीईएमएल और पोत परिवहन निगम के निजीकरण की प्रक्रिया भी दूसरे चरण में पहुंच गयी है। इन कंपनियों के निजीकरण के लिये सरकार को कई रूचि पत्र मिले हैं।

खबर है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। संशोधित अनुमान में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 32,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। चालू वित्त वर्ष में सरकार अबतक केंद्रीय लोक उपक्रमों में अल्पांश हिस्सेदारी और शेयर पुनर्खरीद के जरिये 32,835 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। ये वित्त वर्ष 31 मार्च को समाप्त होने वाला है।


वहीं, हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमण्यम ने बताया है कि 2021-22  में भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) का निजीकरण और एलआईसी का आईपीओ महत्वपूर्ण होंगे। अनुमानों के अनुसार बीपीसीएल के निजीकरण से 75,000 से 80,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं।

एलआईसी के आईपीओ से ही एक लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 52.98 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने जा रही है। इसे आज की तारीख तक देश का सबसे बड़ा निजीकरण माना जा रहा है।

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