स्ववित्त पोषित शिक्षकों की याचिका पर सचिव उच्च शिक्षा तलब, कोर्ट से शिक्षकों को मिला न्याय
जौनपुर। स्ववित्तपोषित योजना में कार्यरत शिक्षकों के यूजीसी पे स्केल को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने आगामी 24 मार्च को अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका गर्ग व निदेशक उच्च शिक्षा को कोर्ट में तलब किया है। साथ में यह भी कहा है कि वर्तमान में असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन यूजीसी पे स्केल के अनुसार ₹57,700 प्रति माह है जिसे देने के लिए उच्च न्यायालय ने 729 आफ 2012 में 1 मार्च 2013 को आदेश दिया था, 7 वर्ष बीत जाने के पश्चात भी रिट कोर्ट के आर्डर को ना मानने के लिए क्यों ना आपके विरुद्ध चार्ज प्रेम किया जाए।
उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर अवमानना वाद 2604 आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा के अंतर्गत चल रहे स्ववित्तपोषित योजना में आमूलचूल परिवर्तन लाएगी। न्यायाधीश उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुमोदित शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विजय प्रताप तिवारी ने अवमानना वाद दाखिल करने वाले डॉ. नीरज श्रीवास्तव को हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह सही है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता लेकिन अपने पर आ जाए तो भड़भूजे की आंख फोड़ देता है। डॉ. नीरज श्रीवास्तव का भागीरथी प्रयास ऐसा ही है और स्ववित्तपोषित शिक्षकों के लिए बड़ी सफलता करार दिया। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ अनुराग मिश्र ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से स्ववित्तपोषित योजना में कार्यरत शिक्षक मनरेगा मजदूरों से भी बद्तर जीवन यापन कर रहे हैं तथा प्रबंधतंत्र के हाथों शोषित हो रहे हैं। अब उच्च न्यायालय के आदेश पर सर्वोच्च न्यायालय से हार जाने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश की सरकार शिक्षकों को यूजीसी पे स्केल नहीं दे रही है। जिसको लेकर प्रदेशभर से लगभग 590 शिक्षकों की अमाना वाद उच्च न्यायालय इलाहाबाद में लंबित है। जनपदीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ सुशील मिश्र ने कहा कि स्ववित्तपोषित शिक्षकों को आज न्याय मिला है और सभी शिक्षक गदगद हैं। न्यायालय के इस निर्णय से यह साबित हो गया कि देश में आज भी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का संविधान जिंदा है। महामंत्री डॉ पारुली सिंह ने कहा कि 20 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद आज यह दिन देखने को मिला है निश्चित तौर से पूरे प्रदेश के शिक्षक गदगद हैं। उत्तर प्रदेश की पूरी स्ववित्तपोषित व्यवस्था बदलेगी शिक्षकों का स्वाभिमान एवं सम्मान स्थापित होगा जिसकी पूरी क्रेडिट माननीय न्यायालय को जाती है।
Great achievement
ReplyDeleteबहुत ही सराहनीय कार्य नीरज जी के अथक प्रयास को बहुत-बहुत धन्यवाद एवं न्यायालय और संविधान का बहुत-बहुत आभार
ReplyDeleteLekin kya is order se baki sabi private university ke teachers ko bhi ye betanmaan mi skega
ReplyDeleteसबसे पहले डॉ नीरज श्रीवास्तव को बधाई आपने अदम्य साहस और विश्वास से लड़ाई लड़ी।स्ववित्त पोषित शिक्षक परिवार को नयापन दिया शत् शत् नमन आपको।
ReplyDeleteसराहनीय और प्रसशंनीय प्रयास
ReplyDeleteहेतु सादर धन्यवाद