सवालः अधिकारी बताये आखिरी बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का खेल कब तक और क्यों चलेगा ?


जौनपुर। प्रदेश में फर्जी वाड़े के लिए विख्यात प्राथमिक शिक्षा विभाग में जहां भी पर्दा उठाया जाये वहां फर्जीवाड़ा सामने आ जाता है लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिक्षकों का फर्जीवाड़ा दिखायी नहीं देता है। ऐसा क्यों होता है यह तो विभाग ही जाने लेकिन खबर तो यह है कि फर्जीवाड़ो को बचाने के लिए प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कुछ चर्चित  बाबू विगत कई वर्षों से अहम भूमिका में नज़र आ रहे हैं। इनके खिलाफ शासन भी मौन साधे बैठा है जो अब सवालों के कटघरे में खडा हो गया है। 
यहाँ बतादे कि 10 फरवरी 2009 में फर्जीवाड़े की बुनियाद पर शिक्षा विभाग में शिक्षक के पद पर नौकरी पाने वाली शिक्षिका साधना चतुर्वेदी पुत्री विनोद चौबे के फर्जीवाड़े की लगातार शिकायत विभाग के शीर्ष अधिकारीयों सहित शासन प्रशासन में हो रही है लेकिन आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे शिक्षा विभाग के अधिकारियों के चलते आज तक इस शिक्षिका के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। आज भी धड़ल्ले से फर्जीवाड़े के दम पर सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम कर रही है। वर्तमान समय में विकास खण्ड सिरकोनी के भुआला पट्टी प्राथमिक विद्यालय पर सेवारत होना बताया जाता है।हलांकि विद्यालय शैक्षिक कार्य हेतु कभी नहीं जाती है।  
यहाँ बतादे कि साधना चतुर्वेदी के शैक्षिक प्रमाण पत्र पर नजर डाला जाये तो इनके हाई स्कूल से लगायत स्नातक के अंक पत्र सर्विस फाईल में द्वितीय प्रति लगी है। जो इलाहाबाद बोर्ड एवं पूर्वांचल विश्वविद्यालय से एक तिथि में जारी किया गया है। इतना ही नहीं हाई स्कूल के अंक पत्र में होम साइंस बिषय का प्राप्तांक 100 नम्बर का है और शिक्षिका साधना चतुर्वेदी को 108 नम्बर दिया गया है जो अंक पत्र को जाली फर्जी होना प्रमाणित करता है। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को यह नजर नहीं आ रहा है। 
शासना देश के अनुसार वेतन लेने के लिये पैन कार्ड लगाया जाता है। इनके द्वारा 2018 में पैन कार्ड संख्या बीओसीपीआर  9236एल लगाया गया है जो रेखा रानी पुत्री राम पलट के नाम का है यानी पैन कार्ड भी फर्जी है फिर भी लगातार वेतन आहरित कर रही है। यही पर इनका फर्जी वाड़ा नहीं रूकता है। विभाग का सरकारी पोर्टल मानव सम्पदा है इसमें इनकी जन्मतिथि भी फर्जी दिखाया गया है। जो शैक्षिक प्रमाण पत्र से मेल नहीं खाती है। सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा तो यह है कि 2001बैच से बीटीसी करने वाली साधना चतुर्वेदी को बीटीसी पास का प्रमाण पत्र 09 फरवरी 2009 को निर्गत हुआ और 10 फरवरी २009 को नियुक्ति पत्र जारी हो गया तथा 12 फरवरी 2009 को शिक्षिका पद पर ज्वानिंग भी कर लिया। इस तरह इस शिक्षिका की नौकरी ही फर्जीवाड़े पर है लेकिन विभाग के अधिकारी को कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। 
यहाँ बतादे कि बेसिक शिक्षा विभाग में साधना चतुर्वेदी के पिता विनोद चौबे बाबू थे जो आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे रहे साथ ही फर्जी वाड़े के मास्टर भी रहे। फर्जी वाड़ा कर अपनी बेटी को शिक्षा विभाग में घुसेड़ दिया जो आज तक सरकारी खजाने को चूना लगा रही है। खबर यह है कि इस फर्जी वाड़ा की शिकायत शासन से प्रशासन तक किया गया लेकिन इस विभाग में वर्तमान समय में आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहा विजय शंकर नामक एक बाबू फाईल को इधर उधर घुमाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी को गुमराह कर अपने कब्जे में लेकर इस फर्जी शिक्षिका को लगातार बचाने का काम कर रहा है। 
खबर यह भी है कि इस तरह के तमाम शिक्षक है जो फर्जी वाड़ा करके मास्टर बन कर सरकारी खजाने को चूना लगा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों से विजय शंकर नामक बाबू माह वार मोटी रकम लेता है और उनकी फ़ाईलों को दबा कर उन्हें बचाने का काम करता है। यदि यह कहा जाए कि फर्जीवाड़े के सरकारी खजाने को लूटने वालों में विभाग के लोगों का भी हाथ है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। यहां यह भी बता दे कि शिक्षिका साधना चतुर्वेदी की शिकायत शासन स्तर पर किये जाने पर विगत 06 माह से बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त अधिकारी जांच कर कर रहे हैं। अभिलेखीय जांच आज तक पूरी नहीं कर सके है। इससे विभाग की मंशा का अनुमान लगाया जा सकता है। बीएसए कहते हैं जांच चल रही है इसके बाद कुछ कहा जा सकता है। सवाल यह है कि प्रमाण पत्र विभाग में मौजूद है तो जांच में बिलम्ब का कारण क्या हो सकता है।      

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