स्व. रूप नरायन त्रिपाठी जी साहित्य रत्न के साथ जनपद की पहचान थे - राम मोहन पाठक
जौनपुर। कालजयी रचनाकर कवि पं. रूप नारायण त्रिपाठी की 31 वीं पुण्यतिथि पर उनकी पावन स्मृति को समर्पित गीत रूप नमन समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन उ0प्र0 भाषा संस्थान एवं रूप सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में जगत नारायण इण्टर कालेज जगतगंज के परिसर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन कर कथावाचक प्रकाश चन्द विद्यार्थी के द्वारा की गयी।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि नेहरू भारतीय ग्रामोदय विश्वविद्यालय प्रयागराज के कुलपति एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रो0 राम मोहन पाठक ने कहा कि स्व0 त्रिपाठी साहित्य रत्न के साथ ही जनपद की पहचान भी थे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। शीर्षस्त रचनाकार होने के साथ-साथ कला साहित्य एवं पत्रकारिता जगत के मार्गदर्शक भी रहे। समाचार पत्रों में उनके साथ बिताये पलों में बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। उनकी रचनायें युग-युगान्तर तक सर्वकालिक रहेंगी एवं उनकी कृतियों की प्रासंगिकता बताते हुए श्री पाठक ने देश के विश्वविद्यालयीय पाठ्यक्रम में उनकी रचनाओं को शामिल करना आज की जरूरत बताया। श्री पाठक ने यह भी कहा कि स्व0 त्रिपाठी की स्मृतियों में आना तीर्थ जैसा है। गीत रूप नमन समारोह में टी0डी0 कालेज के प्रबन्धक अशोक कुमार सिंह, पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार पं. चन्द्रेश मिश्र, प्रबन्धक रामकृष्ण त्रिपाठी, जनसंचार विभागाध्यक्ष डा0 मनोज मिश्र, पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, डा0 गौरीशंकर त्रिपाठी, लोलारक दूबे, डा0 पी0पी0 दूबे, डा0 मधुकर तिवारी, डा0 रामेश्वर त्रिपाठी, विरेन्द्र सिंह एडवोकेट, रामदयाल द्विवेदी, कलेक्ट्रेट बार के महामंत्री आनन्द मिश्र, डा0 प्रमोद कुमार सिंह, अजय त्रिपाठी, राहुल त्रिपाठी, डा0 गोपाल मिश्र, प्रधानाचार्य नागेश पाठक, जितेन्द्र यादव, विनोद त्रिपाठी छविनाथ मिश्र, अश्वनी दूबे, राजेश पाण्डेय, राजेश मिश्रा, सुमन द्विवेदी, पूर्व प्रमुख सुधाकर उपाध्याय, डा0 घनश्याम उपाध्याय, डा0 देवेश उपाध्याय, डा0 पी0सी0 विश्वकर्मा, सभाजीत द्विवेदी ’प्रखर’, चक्रधर मिश्र, लोकेश त्रिपाठी, नीरज त्रिपाठी, प्रशान्त त्रिपाठी, विवेक त्रिपाठी, आलोक मिश्रा एडवोकेट, अखिलेश तिवारी ’अकेला’ अमर सिंह सहित जनपद के संभ्रान्त जनों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
इस अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारम्भ प्रख्यात कवियित्री प्रियंका शुक्ला ने- शारदे माँ भवानी! विराजो यहां काव्य के फूल चरणों में अर्पित करूँ वाणी वन्दना के माध्यम से किया। उन्होंने-
किसी बेबस को अपने घर में साया कौन देता है
दरख्तों को भला पतझर में छाया कौन देता है।
यहां सब लोग दिल में रहके दिल को तोड़ देते हैं,
किसी के दिल में रहने का किराया कौन देता है।
जैसी गज़लें प्रस्तुत करके श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। लखनऊ से पधारे प्रसिद्ध गीतकार वाहिद अली वाहिद ने-
प्यार में फूल पांखुरी जिन्दगी।
नफरतों के शहर में छुरी जिन्दगी।
मेरे होठों पे आया तेरा नाम तो,
हो गयी बांसुरी-बांसुरी जिन्दगी।।
जैसे रचनाओं से श्रोताओं की तालियां बटोरी। राय बरेली से पधारे हास्य कविता के सशक्त हस्ताक्षर मधुप श्रीवास्तव ’नर कंकाल’ ने-
नजरें मिलाने के लायक नहीं है।
सर भी उठाने के लायक नहीं है।
लगाया है जब से चेहरे पे मास्क,
ये मुँह भी दिखाने के लायक नहीं है।।
जैसी रचनाएं प्रस्तुत करके श्रोताओं को ठहाके लगाने के लिए बाध्य कर दिया। वाराणसी से पधारे वरिष्ठ कवि पं0 हरिराम द्विवेदी ने-
उदास होके पेड़ कह रहे हवाओं से।
यही आवाज आ रही है दिशाओं से।।
प्रकृति को छेड़ो नहीं, उसको यूँ ही रहने दो,
नदी है जिन्दगी धारा नदी की बहने दो।
जैसी कविताओं से कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की। उनकी गंगा माँ की कविता विशेष रूप से सराही गयी। कवि सम्मेलन में रामबोध पाठक, डा0 प्रेमचन्द विश्वकर्मा, गिरीश श्रीवास्तव, जनार्दन अस्थाना, विजय कुमार दूबे, बेहोश जौनपुरी, फूलचन्द भारती आदि रचनाकारों ने अपने-अपने काव्य-पाठ से श्रोताओं को देर तक बांधे रखा।
उ0प्र0 भाषा संस्थान एवं रूप सेवा संस्थान की तरफ से लोकेश त्रिपाठी एवं डा0 मनोज मिश्र ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् देकर सम्मानित किया तथा प्रशान्त त्रिपाठी द्वारा मंचस्थ सम्मानित कविगण को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम् दिया गया। प्रख्यात चित्रकार एवं कवि विजय कुमार दूबे की पुस्तक शब्द रंग का विमोचन अतिथिगण द्वारा किया गया आगन्तुक अतिथियों, कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार संस्था के प्रबंधक राम कृष्ण त्रिपाठी द्वारा ज्ञापित किया गया।
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