पंचायत चुनाव के बहाने अति पिछड़ी जातियों को साधने में जुटी सपा
समाजवादी पार्टी पंचायत चुनाव के जरिए अति पिछड़ी और अनुसूचित जातियों को साधने की कोशिश में है। इस चुनाव में इन जातियों से उम्मीदवार उतार कर उन्हें पार्टी के पक्ष में गोलबंद किया जाएगा ताकि इसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सके। पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित सीट पर गैर यादव और अनुसूचित जाति की सीट पर मजबूत गैर जाटव उम्मीदवार होने पर सपा उसका समर्थन करेगी।
इस संबंध में सभी जिलाध्यक्षों को इशारा कर दिया गया है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि आधार वोट बैंक मुसलमान और यादव उसके साथ हैं। ऐसे में अन्य जातियों को जोड़कर चुनावी वैतरणी पार की जा सकती है। इसकी झलक पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ की कार्यकारिणी में भी दिख रही है।
पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सभी सियासी दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं। सपा ने जिला पंचायत सदस्य पद के उम्मीदवार चयन की जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों को सौंपी है। कई इलाकों में अति पिछड़े वर्ग की कुछ जातियां निर्णायक स्थिति में हैं। मिर्जापुर-सोनभद्र में कोल तो फर्रुखाबाद-कन्नौज में सविता, पश्चिम में गुर्जर की तादात अधिक है। इसी तरह अन्य हिस्सों में भी कई अलग-अलग जातियां हैं, लेकिन बिखराव की स्थिति में हैं। उनका वोट किसी एक पार्टी को नहीं जाता है। इन्हें अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ लगातार विभिन्न जिलों में अभियान चला रहा है। इसको पंचायत चुनाव में नए सिरे से धार देने की तैयारी में है।
सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायत सदस्य पद के लिए कश्यप, केवट, निषाद, लोहार, चौरसिया, बियार, नोनिया आदि जातियों के मजबूत दावेदार सामने आते हैं तो पार्टी उन्हें वरीयता देगी। इसी तरह अनुसूचित जाति के मजबूत उम्मीदवारों को भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि इन जातियों के लोगों की पार्टी की तरफ से पंचायत चुनाव में हिस्सेदारी से सकारात्मक संदेश जाएगा। उनके जरिए संबंधित जाति के बीच पार्टी अपनी पहुंच बनाने में कामयाब हो सकेगी।
फीडबैक के आधार पर बनी रणनीति
सपा हाईकमान को विभिन्न स्तरों से मिले फीडबैक में यह बात सामने आई है कि कई अति पिछड़े व अनुसूचित जाति के लोग पार्टी से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन उनका भरोसा डगमगाता रहता है। उन्हें आशंका रहती है कि कहीं यादव व मुसलमान के कारण उनकी हिस्सेदारी कम न हो जाए। अब पार्टी हाईकमान आधार वोट बैंक के साथ ही दूसरी जातियों को हर हाल में अपने साथ लेकर चलने की तैयारी कर रही है।
सपा हाईकमान को विभिन्न स्तरों से मिले फीडबैक में यह बात सामने आई है कि कई अति पिछड़े व अनुसूचित जाति के लोग पार्टी से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन उनका भरोसा डगमगाता रहता है। उन्हें आशंका रहती है कि कहीं यादव व मुसलमान के कारण उनकी हिस्सेदारी कम न हो जाए। अब पार्टी हाईकमान आधार वोट बैंक के साथ ही दूसरी जातियों को हर हाल में अपने साथ लेकर चलने की तैयारी कर रही है।
सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि सपा हमेशा हर वर्ग को साथ लेकर चली है। पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में हर जाति को तवज्जो मिलेगी। अति पिछड़ों व अनुसूचित जाति को उनका हक सपा ही दिला सकती है। अल्पसंख्यकों के हक के लिए पार्टी ने निरंतर संघर्ष किया है। पंचायत चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं होता है। ऐसे में विभिन्न इलाके से हर वर्ग के उम्मीद्वारों का पार्टी के कार्यकर्ता समर्थन करेंगे।
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