यूपी सरकार ने विरासत की सूची में 943 वृक्षों को जाने क्यों रखा है



सदियों के साक्षी शहर के दो वृक्षों को शुक्रवार को योगी सरकार ने विरासत वृक्ष घोषित कर दिया। राज्य जैव विविधता बोर्ड की ओर से जिन दो वृक्षों को विरासत वृक्ष का दर्जा दिया गया है, उनमें अकबर के किले में स्थित पालातपुरी मंदिर का बरगद भी शामिल है। इसी तरह झूंसी में गंगा तट पर स्थित पारिजात वृक्ष को भी विरासत वृक्ष का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही प्रदेश के 943 वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया गया। इन वृक्ष स्थलों को पर्यटन के लिहाज से भी विकसित किया जाएगा।
किले में स्थित पातालपुरी मंदिर में बरगद वृक्ष आस्था के प्रतीक के तौर पर दर्शनीय है। मूल अक्षयवट को न खोले जाने से पूर्व संगम स्नान के बाद तीर्थयात्रियों को पातालपुरी में इस बरगद का दर्शन कराया जाता रहा है। किला के अंदर पातालपुरी मंदिर के इस बरगद की उम्र 400-500 वर्ष पुरानी आंकी गई है। इसी प्राचीनता के आधार पर इस वृक्ष को विरासत वृक्ष की सूची में जगह मिली है। इसी तरह प्रयागराज में ही पारिजात के करीब 850 वर्ष पुराने पेड़ को भी विरासत सूची में शामिल किया गया है।
बोर्ड ने लखनऊ के दशहरी गांव में स्थित 200 वर्ष से अधिक पुराने पेड़ को विरासत वृक्ष घोषित किया गया है। इस वृक्ष को मां दशहरी के नाम से जाना जाता है। अंबेडकरनगर के बरोली असनंदपुर में स्थित बाबा झारखंड के नाम से प्रसिद्ध पीपल के पेड़ को भी इसी श्रेणी में रखा गया है। फतेहपुर के पारादान ग्राम में इमली के 200 वर्ष पुराने पेड़ और श्रावस्ती के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण परिसर, सहेठ के 2500 वर्ष पुराने पीपल के वृक्ष को भी विरासत वृक्ष घोषित किया गया है। प्रयागराज बोर्ड की बैठक अध्यक्ष व प्रमुख सचिव (वन) सुधीर गर्ग की अध्यक्षता में हुई। संचालन सचिव पीके शर्मा ने किया।

Comments

Popular posts from this blog

तेज रफ्तार ट्रक का कहर: मोपेड सवार महिला की मौके पर ही मौत

मेराजुन्नबी का जुलूस और जलसा धूमधाम से सम्पन्न

सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे के मामले में उच्च न्यायालय प्रयागराज ने सदर तहसीलदार को भेजा नोटिस