मौला-ए-कायनात हज़रत अली की याद में हुई महफ़िल
जौनपुर। मौला-ए-कायनात हज़रत अली अलैहिस्सलाम की याद में एक महफ़िल 'बज़मे मौलूदे काबा' मोहल्ला अजमेरी में स्वर्गीय सै. अली शब्बर सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के निवास स्थान पर हुई। महफ़िल की शुरुआत हदीसेकिसा से आमिर कजगांवी ने किया।
इस अवसर पर मौलाना सै. मोहम्मद जाफर ने कहा कि उर्दू माह का ये रजब का महीना बहुत बरकतों व फ़जीलत का है, इस माह मे कई इमामों की पैदाइश हुई। विशेषकर 13 रजब को मुसलमानों के ख़लीफा/ शीयो के पहले इमाम मौलाए कायनात हज़रत अली अलैहिस्सलाम का जन्मदिवस है।
शायरों ने मौला की शान में कसीदे पढ़े जिससे मोमनीन/श्रृधालु मंत्र मुग्ध हो गये। वहदत जौनपुरी ने पढा-
हमारी फ़िक्र है रौशन हमारे दिल रौशन।
हमारा रिश्ता है सूरज के ख़ानवादे से।।
नातिक ग़ाज़ीपुरी ने पढ़ा-
करम हुआ है उजालों का आज फिर हम पर।
अली के जैसा है मेहमान और ग़ुलाम का घर।।
हसन फतेहपुरी ने पढ़ा-
ये सर अली की अमानत है रोज़े मैशर तक।
अब्बास काज़मी ने पढ़ा-
नबी के आल की अपनाई जिस ने राहगुज़र।
हर इक महाज़ पे वो कामयाब आया नज़र।।
इस अवसर पर अब्बास एहसास, हेजाब इमामपुरी, वजीह मोहम्मदाबादी, ताबिश काज़मी, रविश जौनपुरी, अली अब्बास, मेंहदी ज़ैदी, अदीब, ज़रगाम सैदनपुरी, तालिब, अफ़रोज़, वसीम, आदि शायरों ने कसीदें पढ़ें।
अन्त में सैय्यद मोहम्मद मुस्तफा ने आये हुए लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। संचालन अब्बास काज़मी ने किया। इस अवसर पर अली मुस्तफा कैफी, कायम आब्दी, मुफ्ती वसीउल हसन एडवोकेट, मुफ्ती शारिब, मौलाना तुफैल अब्बास, सै. मोहम्मद अब्बास, अनवारुल हसन, जर्रार खान, ताहिर खान, आबिद आदि उपस्थित रहे।
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