मौनी अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे श्रद्धालु
माघ मास कृष्ण अमावस्या यानी मौनी अमावस्या को हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान और दान से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवतागण पवित्र संगम में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन कुछ उपायों से शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है।
माघ या मौनी अमावस्या 11 फरवरी को 01ः10 से अमावस्या आरम्भ, 12 फरवरी को 00ः37 पर अमावस्या समाप्त होगी। मौनी अमावस्या को छह ग्रहों का विशिष्ट योग बना रहा फलदायी, गुरु साध्य योग में पुण्य की डुबकी लगाएं। मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को शक्कर मिलाकर आटा खिलाना चाहिए। ऐसा करने से पाप-कर्म कम होते हैं और पुण्य-कर्म उदय होता हैं। आज के दिन सुबह स्नान करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। आटे की गोलियों को मछलियों को खिलाना भी शुभ होता है। ऐसा करने से आपके जीवन की परेशानियों का अंत होता है। मौनी अमावस्या के दिन कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सुबह स्नान करने के बाद चांदी से बने नाग-नागिन की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद सफेद पुष्प के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। शाम के वक्त घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। पुराणों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का विशेष महत्व होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। अगर मौन रहना संभव न हो तो माघ अमावस्या के दिन लड़ाई-झगड़े से बचना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन कटु वचनों को नहीं बोलना चाहिए।
आठ घाटों पर श्रद्धालु करेंगे स्नान
माघ मेले के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर पुण्य की मौन डुबकी लगाने के लिए मेला पूरी तरह से खचाखच भर गया है। दोपहर में मेला क्षेत्र की सड़कों पर संतों-भक्तों की खचाखच भीड़ दिखी। इसके साथ ही संगम ती रेती पर झोला, गठरी लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। मौनी अमावस्या पर भीड़ के अनुमान को देखते हुए सेक्टरवाइज बनाए गए आठ घाटों पर मौन डुबकी लगाई जाएगी। कोविड-19 प्रोटोकॉल को देखते हुए माघ मेला के तीसरे और सबसे बड़े स्नान पर्व पर मौन डुबकी के लिए इस बार 8000 फुट लंबे घाट बनाए गए हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। इसके लिए गंगा के दोनों तटों पर बने स्नान घाटों पर सर्कुलेटिंग एरिया भी बढ़ा दिया गया है। इसमें संगम नोज पर स्नानार्थियों की सुविधा के लिए लगभग 650 फुट और काली मार्ग, त्रिवेणी मार्ग के अलावा खाक चैक में बने घाटों पर औसतन 300 फुट चैड़ी सर्कुलेटिंग एरिया की बना दी गई है। आधी रात से हर्षवर्धन चैराहे से वाहनों का प्रवेश प्रतिबं धितमौनी अमावस्या पर सुगम यातायात के का भी खाका खींच लिया गया है। हर्षवर्धन चैराहे से वाहनों को मेला क्षेत्र में प्रवेश बंद कर दिया गया।
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