लोक साहित्य संरक्षण में अनुवाद की बड़ी भूमिका : कुलपति

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर मातृ भाषा के संवर्द्धन में अनुवाद की भूमिका विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया।
संबोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि लोक साहित्य, लोक कहानियां, लोक गीतों के  संरक्षण के लिए अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ ही कहा कि भाषा का विस्तार हुआ है । प्रतीकात्मक भाषा से ऑनलाइन कंप्यूटर की भाषा का सफर हमने तय कर लिया है। उन्होंने कहा कि भारत बहुभाषा- भाषी देश है। हम सभी को भाषाओं को संरक्षित करने की और लुप्त होती भाषाओं को बचाने के लिए आगे आना होगा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय, हिंदी विभाग  के  प्रोफेसर, लब्ध प्रतिष्ठ कवि एवं शायर अनूप वशिष्ठ बतौर मुख्य अतिथि  ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुवाद रचनात्मकता से बड़ा कार्य है। दो भाषाओं के ज्ञान के साथ ही उसकी संस्कृति, प्रकृति व परंपरा का भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अनुवाद विशद् ज्ञान है और इसके लिए संवेदनशीलता की जरुरत पड़ती है।


उन्होंने कहा कि एक- दूसरे से भावनात्मक आदान-प्रदान ही मातृभाषा है। अनुवाद की योजना पर काम जमीनी स्तर पर हो तभी मातृभाषा का विस्तार हो सकता है। विशिष्ठ अतिथि प्रख्यात यात्रा लेखिका डॉ. कायनात काज़ी ने कहा कि ज्ञान के प्रसार में भाषा के अवरोध को  हटाने में अनुवादकों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि भाषा जल की तरह है उसका प्रवाह यदि रुकेगा तो वह विलुप्त हो जाएगी। मातृभाषा के महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ऐमज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियां क्षेत्रीय भाषाओं में अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं।

वेबिनार में प्रो. मानस पांडेय, प्रो. अविनाश पाथर्डीकर ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन एवं विषय प्रवर्तन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया। कार्यक्रम सचिव डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. देवराज सिंह, प्रो. राजेश शर्मा,डॉ. राकेश यादव , डॉ. जगदेव, डॉ. प्रमोद यादव, डॉ. मनीष गुप्ता, डॉ. रसिकेश, डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव, अन्नू त्यागी, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. राधा ओझा, डॉ. अवध बिहारी सिंह,  तथा विद्यार्थियों समेत तमाम लोग उपस्थित रहें।


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