लॉकडाउन में वायु प्रदूषण के स्तर में सुधार, लेकिन अब खतरनाक स्तर पर - डा श्रवण कुमार
जौनपुर। जहां एक तरफ विश्व कोरोना वायरस की विभीषिका से जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ विश्व के वैज्ञानिक कोरोना की उपयुक्त वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं, इसके अलावा विश्व के वैज्ञानिक लॉक-डाउन के समय वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण में हुए सुधार एवं जलवायु पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में भी अध्ययन कर रहे हैं। पूर्वांचल विश्वविद्यालय भी इस क्षेत्र में विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ इस तरह के अध्ययन एवं शोध में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
हाल ही में पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भइया संस्थान के भू एवं गृह विज्ञान विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्रवण कुमार ने लॉक-डाउन के दौरान अप्रत्याशित वायु प्रदूषण के स्तर में हुए सुधार एवं जलवायु पर होने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। इस अध्ययन के परिणाम प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय ऐलसेवियर जर्नल "एटमॉस्फेरिक पॉल्यूशन रिसर्च" में प्रकाशित हुए हैं। इस शोध में डॉ. कुमार के अलावा एरीज नैनीताल, आईआईटी खड़गपुर, आईआई ए बैंगलोर एवं ग्रीस (यूनान) के वैज्ञानिक सम्मिलित हैं। इससे पहले भी डॉ. कुमार कोरोना वायरस के प्रसार में मौसम संबंधित कारकों की सहभागिता के ऊपर शोध पत्र प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय ऐलसेवियर जर्नल "साइंस ऑफ़ द टोटल एनवायरनमेंट" में प्रकाशित कर चुके हैं।
इस शोध पत्र में दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में स्थित 63 CPCB मॉनिटरिंग स्टेशनों पर Covid -19 लॉकडाउन अवधि के दौरान कणिकीय पदार्थ (PM) और वायु प्रदूषकों (NOX, SO2, कार्बन मोनोऑक्साइड, अमोनिआ एवं ओज़ोन) की सांद्रता में गिरावट का अध्ययन किया गया है। प्रत्येक स्टेशनों के बीच पिछले वर्षों की समान अवधि की तुलना में लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रदूषण में बड़े औसत की कमी दर्ज की गयी। COVID-19 लॉकडाउन ने दिल्ली-एनसीआर में PM और NO2 सांद्रता में 50% से अधिक की कमी की, उत्तर भारत में एयरोसोल की मात्रा में कमी अधिक पायी गयी, भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में NO2 में सबसे बड़ी कमी दर्ज की गयी। इसके अलावा, पिछले वर्षों की संबंधित अवधि की तुलना में लॉकडाउन के दौरान पीएम और वायु प्रदूषकों में काफी कमी आई थी, जबकि अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने के बाद प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। प्रदूषण के स्तर में इस तरह की बड़ी गिरावट के लिए ज्यादातर यातायात एवं औद्योगिक क्षेत्रों से संबंधित प्रदूषक जिम्मेदार थे क्योंकि मौसम संबंधी परिवर्तन बहुत ही मामूली पाए गए। इस अध्ययन में कंप्यूटर आधारित मॉडल सिमुलेशन का भी उपयोग किया गया और पाया गया कि यातायात और औद्योगिक क्षेत्रों से उत्सर्जन बंद होने के कारण पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और ज्यादातर शहरी क्षेत्रों में PM2.5, NO2 और SO2 के स्तर में उल्लेखनीय कमी आयी थी। लॉकडाउन खुलने के बाद से प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है जो कि अब फिर से खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है।
डॉ. श्रवण कुमार की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य जी ने शुभकामनाएं दी हैं। इस अवसर पर रज्जू भइया संस्थान के निदेशक प्रोफेसर देवराज सिंह, रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार, डॉ आशीष वर्मा सहित विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षकों ने भी बधाई दी।
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