रेलवे पुलिस ने 20 दिनों में 100 से अधिक गुम हुए बच्चों को जाने कैसे मिलाया उनके परिवार से
जौनपुर । रेलवे पुलिस की झांसी - आगरा टीम ने 20 दिनों में 100 से अधिक गुम हुए बच्चों को विभिन्न जनपद व राज्यों से आगरा एवं झाँसी अनुभाग की विशेष टीम के प्रयासों से खोजकर उनके परिवारों से मिलाया गया है । इस आशय की जानकारी पुलिस अधीक्षक रेलवे झांसी-आगरा आशीष तिवारी ने जारी एक विज्ञप्ति के जरिए दी है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अपर पुलिस अधीक्षक रेलवे आगरा मो0 मुश्ताक के नेतृत्व में जीआरपी अनुभाग आगरा व झाँसी के अन्तर्गत वर्ष 2018 -19 व 20 में गुम हुए बच्चों की बरामदगी हेतु गृह मंत्रालय द्वारा संचालित 'आपरेशन मुस्कान' के तहत दोनों अनुभागों के अन्तर्गत आने वाले गुमशुदा बच्चों की शत-प्रतिशत बरामदगी करने हेतु एक समर्पित अभियान चलाया गया। इस अभियान के दौरान विगत लगभग 20 दिनों में 100 से अधिक बच्चों को जिसमे विभिन्न जनपद एवं राज्यों से बरामद कर उनके परिवारों से मिलाया।
उन्होंने कहा कि चयन के पश्चात दोनों अनुभागों में कुल चार टीमें गठित की गयीं। इन सभी टीम सदस्यों को बच्चों से सम्बन्धित कानून जैसे बाल अधिकार संरक्षण कानून 2005, जुबेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2000, बाल मजदूरी( निषेध एवं नियमन) कानून 1986, पोक्सो एक्ट 2012 इत्यादि के बारे में जानकारी देते हुए व्यावहारिक रुप से प्रशिक्षित किया गया साथ ही गुमशुदा बच्चों की तलाश हेतु बनाये गये एस ओ पी का विस्तृत कार्यशाला आयोजित कर जानकारी दी गयी। जिसके तहत आश्रय स्थल , बस स्टेण्ड़ , रेलवे स्टेशन , एन जी ओ, स्थानीय पुलिस , व सी प्लान का प्रयोग करके कैसे गुमशुदा बच्चों की पहचान करना तथा उनके घर वालों तक पहुंचाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दी गयी।
इस अभियान को सफल बनाने के लिए सर्वप्रथम दोनों अनुभागों के अन्तर्गत आने वाले समस्त जनपदों एवं जीआरपी के थानों से गुम हुए बच्चों का डाटा संकलन किया गया। डाटा संलकन के पश्चात गुम हुए बच्चों से सम्बन्धित पूर्ण अद्यतन जानकारी सहित एक एल्बम तैयार की गयी,जिसमें कुल 231 बच्चे गुमशुदा पाये गये। इन सभी बच्चों को बरामद करने के लिए एक समर्पित व स्व-प्रेरित टीम व बेहतर रणनीति की आवश्यकता थी। जिसके लिए सबसे पहले एक एस ओ पी (Standard Operating Procedure) तैयार की गयी। इसके पश्चात दोनों अनुभागों से समर्पित एवं जो पुलिस कर्मी सामाजिक कार्यों में रुचि रखने एवं सामाजिक कार्यों के लिए प्रोत्साहित रहने वाले पुलिस कर्मियों का साक्षात्कार के माध्यम से चयन किया गया। चयन के पश्चात दोनों अनुभागों में कुल चार टीमें गठित की गयीं। इन सभी टीम सदस्यों को बच्चों से सम्बन्धित कानून जैसे बाल अधिकार संरक्षण कानून 2005, जुबेनाइल जस्टिस (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून 2000, बाल मजदूरी( निषेध एवं नियमन) कानून 1986, पोक्सो एक्ट 2012 इत्यादि के बारे में जानकारी देते हुए व्यावहारिक रुप से प्रशिक्षित किया गया साथ ही गुमशुदा बच्चों की तलाश हेतु बनाये गये sop का विस्तृत कार्यशाला आयोजित कर जानकारी दी गयी। जिसके तहत आश्रय स्थल/ बस स्टेण्ड़/ रेलवे स्टेशन/ NGO/ स्थानीय पुलिस/C-Plan का प्रयोग करके कैसे गुमशुदा बच्चों की पहचान करना तथा उनके घर वालों तक पहुंचाने की सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दी गयी।
प्रशिक्षण के उपरान्त प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के जनपद आगरा, मथुरा, हाथरस, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, अलीगढ, मैनपुरी, इटावा, फर्रुखाबाद, बांदा, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, कानपुर, झाँसी, महोबा, चित्रकूट को चिन्हित कर टीमों को आवंटित कर उन्हे रवाना किया गया। इसके पश्चात दूसरे चरण मे भारत के बडे शहरों दिल्ली, फरीदाबाद, पलवल, गुडगाँव, गाजियाबाद, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर एवं मुम्बई को चिन्हित किया गया जो अभी जारी है। अभी तक महज 20 दिनों में टीमों द्वारा तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए 100 से अधिक बच्चों को खोज लिया गया। जिनमें एल्बम के 231 बच्चों मे से अभी तक कुल 81 बच्चों के घर पर सम्पर्क स्थापित किया गया तो यह सभी गुमशुदा बच्चे अपने घर आ चुके थे। (इस सूचना को सम्बन्धित जनपदों के डाटा में अपडेट कराया जा रहा है।) इसके अतिरिक्त टीमों द्वारा रेलवे स्टेशन, बस स्टेण्ड एवं बालगृहों में कई वर्षों से अन्धकार में जीवन जी रहे कुल 22 बच्चे/बच्चियोँ को टीम की कड़ी मेहनत एवं सर्विलाँस व C-Plan App (जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गाँव से 10 -10 सम्भ्रान्त व्यक्तियों के फोन नं0 उपलब्ध हैं) की मदद से उनके परिजनों से मिलाया जा चुका है। द्वितीय चरण का कार्य अभी जारी है। इसके अतिरिक्त तृतीय चरण हेतु कोलकाता, चैन्नई एवं गुजरात को चिन्हित किया गया है जो बहुत जल्द शुरु होगा।
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