सवाल: सरकारी खजाने से जाल फरेब के जरिये निकाली गई धनराशि की वसूली कब ?



भ्रष्टाचार और धनोपार्जन में जुटा शिक्षा विभाग की सह पर श्री स्वामी कृष्णा नन्द इन्टर कालेज के दो शिक्षकों ने सरकारी खजाने को लगाया करोड़ों का चूना 

जौनपुर। आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे हैं शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के ऐसे ऐसे कारनामें हो रहे है कि जानने के बाद पैर के नीचे से जमीन ही खिसक जाती है। एक मामला प्रबन्धकीय वित्त पोषित विद्यालय श्री स्वामी कृष्णा नन्द इन्टर कालेज सुजानगंज बेलापार का प्रकाश में आया है। यहां पर प्रबन्धन की मिली भगत से एक बिषय पर तीन अध्यापक नियुक्त है और प्रबन्धक के हस्ताक्षर से सरकारी खजाने से प्रति माह 80 से 85 हजार रुपये का चूना सरकारी खजाने के माध्यम से सरकार को लग रहा था। 
लगातार शिकायतों के बाद 24 अगस्त 2020 को जिला विद्यालय निरीक्षक ने दो अध्यापकों के वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच का आदेश जारी किया है। इस जाल फरेब के खेल से इस विद्यालय के शिक्षकों द्वारा सरकार को लाखों रूपये का चूना लगाया जा चुका है। इसके पश्चात फर्जी शिक्षकों से सरकारी खजाने से ली गयी धनराशि के रिकवरी हेतु शिक्षा विभाग आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया। खबर है कि फर्जी शिक्षकों से सौदेबाजी करने का खेल चल रहा है। 
मिली जानकारी के अनुसार श्री स्वामी कृष्ण नन्द इन्टर कालेज में सन् 1991 में हिन्दी के अध्यापक का पद रिक्त था उस समय प्रबन्धक ने अशोक मिश्रा को उक्त बिषय पर आयोग से अध्यापक आने तक के लिये नियुक्त कर लिया। इसके बाद अशोक मिश्रा हाई कोर्ट की शरण में चले गये। इस बीच पद रिक्त न होने के बाद  मृतक आश्रित पर नरेन्द्र नारायण तिवारी भी हिन्दी बिषय के अध्यापक पद पर आ गये। सन् 2005 में अशोक मिश्रा ने फर्जी हस्ताक्षर के सहारे लाखों रूपये एरियर आदि गटक गये। दो अध्यापक अपनी दावेदारी के लिए मुकदमा लड़ ही रहे थे कि 2014 में आयोग से चयनित अध्यापक अशोक दूबे राजकीय इन्टर कालेज जनपद कासगंज से स्थानान्तरित होकर यहाँ आ गये इनके आने के बाद अशोक मिश्रा और नरेंद्र नारायण तिवारी दोनों की नियुक्तियां स्वतः निरस्त हो गयी।
लेकिन बाद में प्रबंधक की सहमति पर तीनों अध्यापकों ने समझौता कर सरकारी खजाने को चूना लगाने का फैसला ले लिया और  2014 से अब तक लगातार प्रबन्धक के हस्ताक्षर से सरकारी खजाने को चूना लगाते रहे। प्रबन्धक एवं अध्यापकों के इस लूट पाट के खेल की शिकायत कौशलेन्द्र पाण्डेय लगातार करते चले आ रहे थे लेकिन शिक्षा विभाग के भ्रष्टा अधिकारियों के कारण सरकारी खजाने को चूना लगना बन्द नहीं हुआ। काफी प्रयासों के बाद अगस्त 20 में जिला विद्यालय निरीक्षक ने मामले को संज्ञान में लिया और अध्यापक अशोक मिश्रा एवं नरेन्द्र नरायण तिवारी के वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए जांच का आदेश जारी कर दिया है। 
यहाँ पर सवाल इस बात का है कि जांच का आदेश करने के बाद शिक्षा विभाग फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अभी तक न तो जांच पूरी हो सकी न ही सरकारी खजाने से जाल फरेब के जरिये निकाली गई धनराशि की वसूली के लिए कोई कदम शिक्षा विभाग ने उठाया। खबर मिली है कि जिला विद्यालय निरीक्षक सहित उनके डीलिंग बाबू द्वारा दोनों कथित शिक्षकों से धन की सौदेबाजी की जा रही है। ताकि वसूली की कार्यवाही को ऐन केन प्रकारेण रोका जा सकें। शिक्षा विभाग ऐसे भ्रष्टाचारों के लिए मशहूर है यदि विभाग की गहन समीक्षा हो तो जनपद जौनपुर के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में ऐसे लगभग एक दर्जन से अधिक भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा संभव है। 

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