मालवीय जी का जीवन भारतीयता को रहा समर्पित - प्रो राम अवतार सिंह
मालवीय जी का कृतित्व सबसे उदाहरण काशी हिन्दू विश्वविद्यालय है - अशोक कुमार सिंह
जौनपुर। तिलकधारी महाविद्यालय के बलरामपुर हाल में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तथा गीता जयंती मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो.राम अवतार सिंह ने कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी का जीवन भारत, भारतीयता को समर्पित रहा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को प्रज्ज्वलित करने हेतु उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए तिलकधारी महाविद्यालय के प्रबंधक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि मालवीय जी के व्यक्तित्व व कृतित्व की विशालता का साक्षात प्रारूप काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना है, जहां आज भी भारतीय संस्कृत की साधना होती है ।
विशिष्ट वक्ता समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर हरिओम त्रिपाठी जी ने मालवीय जी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवीय जी हिंदी पत्रकारिता के जनक थे, उनकी सर्जना शक्ति इतनी भविष्यगामी थी, कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय को विश्व की सर्व शिक्षा की राजधानी बनाया। उनके जीवन में मातृभाषा आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन एवं नारी शिक्षा के लिए विशेष कार्य किए गए, मालवीय जी ने भारतीय संस्कृति के संवाहक रहे, मालवीय जी कहा करते थे मनुष्य अपने जीवन में उत्थान तभी पा सकता है जब उसको जो व्यवहार अच्छा न लगे वह दूसरों के साथ किसी भी कीमत पर ना करें, मालवीय अध्ययन केंद्र के निदेशक समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजीव रतन सिंह ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। तिलकधारी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सरोज सिंह ने अपने उद्बोधन में मालवीय जी के समकालीन तिलकधारी सिंह की व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी चर्चा किया ।आए हुए अतिथियों ,आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
संगोष्ठी कार्यक्रम का संचालन प्रज्ञा प्रवाह के विभाग संयोजक संतोष त्रिपाठी ने किया। संगोष्ठी में प्रमुख रूप से माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह डॉ आर एन ओझा डॉ अवनीश सिंह डॉक्टर देवेंद्र सिंह, डॉक्टर ब्रह्महेश शुक्ल, डॉ कीर्ति सिंह, शैलेंद्र निषाद ,मनोज तिवारी, डॉ रजनी कांत द्विवेदी ,डॉ मनोज वत्स ,डॉक्टर नीतू सिंह, पंकज सिंह ,डॉक्टर ज्ञान प्रकाश उपाध्याय, डॉक्टर बंदना मिश्रा डॉक्टर पूनम मिश्रा डॉक्टर सुमन सिंह उमा निवास मिश्रा संतोष डॉक्टर सुभाष शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
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