बीत दो दशकों में विकास के नाम पर शून्य क्यों रहा जौनपुर, आज भी जाम से जूझ रहा है जिला


  


जौनपुर। विगत दो दशकों में राजनैतिक दलों द्वारा जनपद के विकास के दावे तो खूब किये गये लेकिन सच्चाई यह है कि एक भी दावा वास्तविक धरातल पर नजर नहीं आया है। जिसका परिणाम यह है कि जिले की आवाम विकास के इन्तजार में घिसट घिसट कर जीवन जीने को मजबूर हो गयी है। सरकारी अमले में भी अधिकारी आते रहे जनपद को अपना चारागाह बना कर अपनी-अपनी तिजोरी भरी और चलते बने। विकास उनकी बला से जनपद की जनता को विकास की रोशनी मिले न मिले अधिकारी का विकास होता जरूर दिखा वहीं पर जिले के जन प्रतिनिधि भी माला माल हो गये लेकिन जनपद दो दशक पहले जहां था आज भी वहीं पर खड़ा नजर आ रहा है। 
यहाँ पर हम अगर यातायात की बात करे तो जनपद का मुख्यालय बीसो साल से जाम के झाम में फंसा नजर आता है। आज भी शहर घिसटने को मजबूर है। प्रतिदिन शहर पांच से सात घन्टे तक दिन में जाम में फंसा रहता है। इस जाम से निजात दिलाने के लिए दो दशकों में किसी भी जन प्रतिनिधि ने न तो पहल किया नहीं प्रशासन के अधिकारी ने कोई ठोस उपाय ही किया। 
यहाँ बतादे कि जनपद मुख्यालय के चारों तरफ से रेलवे लाइन बिछी हुई है जिसके कारण जाम की गम्भीर समस्या रोज बनी रहती है। नई नईगंज रेलवे क्रासिंग का हाल यह है कि यहां पर तीन से चार किमी जाम सुबह से लगभग 11बजे रात्रि तक प्रतिदिन रहता है। जनपद वासी लगातार यहाँ पर फ्लाई ओवर बनाने की मांग पिछले 20 सालों से कर रहे हैं लेकिन सांसद अथवा विधायक या फिर मंत्री के स्तर से जनता की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया है। तो सरकारी तंत्र क्यों ध्यान देगा वह तो समय काट चलता बना है। ऐसी ही हालात सिपाह रेलवे क्रासिंग बन्द होने पर दिखती है सड़क बाई पास जाम तो पूरा शहर ठप हो जाता है। इसी तरह शाहगंज बाई पास पर बना रहता है। वाराणसी जौनपुर मार्ग पर स्थित जगदीश पुर रेलवे क्रासिंग पर भी घन्टो जाम का नजारा देखने को मिलता है।
यदि कोई गम्भीर मरीज इस जाम में फंस जाये तो उपचार के आभाव में मरीज की जान भी जा सकती है ऐसी तमाम घटनाये हो भी चुकी है। 
यहाँ यह भी बता दे कि विगत लगभग 6 साल पहले मड़ियाहू रेलवे क्रासिंग पर निकट सिटी स्टेशन फ्लाई ओवर बनाने की स्वीकृति मिली फ्लाई ओवर को एक साल में बन जाना चाहिए था लेकिन फ्लाई ओवर के पास एक चिकित्सक ने अपने धन की ताकत का प्रभाव दिखाते हुए फ्लाई ओवर के निर्माण को रोकवा दिये थे। इसके बाद शासन प्रशासन ने कागजी सक्रियता  दिखाया लेकिन सच यह है कि लगभग 6 साल से अधिक समय बीत गया फ्लाई ओवर आज तक बन कर चालू नहीं हो सका है।
 ये तो रहा पुलों फ्लाई ओवर का हाल अब स्वास्थ्य की चर्चा कर ले तो वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने जिले को एक मेडिकल कालेज दिया जिसे 2016 में बन कर तैयार हो जाना था लेकिन यह मेडिकल कालेज अब तक नहीं बन सका है और अपने तकदीर पर आंसू बहा रहा है। हां इतना जरूर हुआ कि इसका नाम करण जन्म से पहले कर दिया गया कई बार विल रिवाइज करते हुए बजट की धनराशि बढ़ा दिया गया लेकिन काम एक चवन्नी का नहीं हो सका है। अधिकारी मौके पर पहुंच कर अपनी फोटो ग्राफी कराके काम के प्रगति का दावा कर देते रहे हैं लेकिन सच यह है कि सरकार ने बजट ही नहीं दिया इस लिये मामला खटाई हो गया है। 
इसके अलावां विगत दो दशकों में जौनपुर के अन्दर ऐसा कोई विकास कार्य नहीं किया जा सका जिसके बिषय में ताल ठोंक कर कह सके कि अमुक सरकार अथवा जन प्रतिनिधि अथवा सरकारी तंत्र ने कोई काम किया है जिसका लाभ जनता को मिल रहा है। कोई भी बड़ा उद्योग नहीं लग सका जो रोटी रोजी का साधन बना हो। इतना ही नहीं सड़कों की बात करे तो आज भी जो सड़क है उनकी चौड़ी करण के नाम पर कागजी खेल चाहे जितना हुआ हो लेकिन भौतिक रूप में कुछ भी नजर नहीं आया है। 
हाँ एक बात है कि भ्रष्टाचार में दिन दूना रात चौगुना बृद्धि हुईं हैं। हर स्तर पर लूट पाट का जबर्दस्त खेल हो रहा है। भ्रष्टाचार से फायदा जन प्रतिनिधि एवं सरकारी मशीनरी को भरपूर मिला लेकिन जनता का किसी भी स्तर पर कोई हित नहीं हो सका है। 

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