प्रसपा अध्यक्ष का ऐलान सपा से सम्मान जनक गठबन्धन के लिये तैयार, विलय नहीं


लखनऊ: समाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन करने वाले शिवपाल सिंह यादव अब समाजवादी पार्टी के साथ सम्मान जनक गठबंधन के लिए तो तैयार हैं लेकिन उन्हें अखिलेश यादव का एक सीट पर चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब तक समाजवादी पार्टी नेतृत्व के साथ कोई बातचीत नहीं हुई. इसके साथ ही उन्होंने 21 दिसंबर से चुनाव अभियान शुरू करने का ऐलान भी कर दिया है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने लखनऊ में मीडिया कर्मियों से बातचीत में अपनी मंशा उजागर की। उन्होंने 21 दिसंबर से चुनाव अभियान की शुरुआत करने की जानकारी दी और बताया कि मेरठ के सिवालखास विधानसभा क्षेत्र में रैली का आयोजन कर चुनाव अभियान की शुरुआत की जाएगी। 23 दिसंबर को इटावा के हैवरा में चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन मनाएंगे। इसी दिन वह ” गांव गांव पहुंचे प्रसपा जन के पांव” अभियान की शुरुआत करेंगे। 24 दिसंबर से प्रसपा के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर लोगों से मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि अलग -2 माध्यमों से और संवाद के विभिन्न मंचों पर सैकड़ों बार मैंने यह बात कही है कि समाजवादी धारा के सभी लोग एक मंच पर आएं और एक ऐसा तालमेल बनें जिसमें सभी को सम्मान मिल सके और प्रदेश का विकास हो सके । जहां तक समाजवादी पार्टी का प्रश्न है, अब तक मेरे इस आग्रह पर पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही इस विषय पर मेरी समाजवादी पार्टी के नेतृत्व से कोई बात हुई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरी मंशा स्पष्ट होने के बावजूद बात आगे नहीं बढ़ पा रही है । उन्होंने कहा कि प्रसपा का स्वतंत्र अस्तित्व बना रहेगा और पार्टी विलय का कोई सवाल नहीं उठता है।
हम लगातार संगठन को मजबूत करने पर कार्य कर रहे हैं। कृषि विरोधी बिल के खिलाफ दिल्ली आ रहे पंजाब व हरियाणा के किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोका जा रहा है, कड़ाके की सर्दी के बावजूद उन पर आंसू गैस, लाठियां व वॉटर कैनन चलाया जा रहा है। अन्नदाताओं पर ऐसा अमानवीय अत्याचार करने वालों को सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
लोकतंत्र में सांकेतिक विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी को है, यही लोकतंत्र की ताकत है, बड़ी सी बड़ी समस्याओं को बातचीत के द्वारा हल किया जा सकता है, जन आकांक्षा के दमन और लाठीचार्ज के लिए लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है । इसके मद्देनजर किसानों और विपक्ष की आम सहमति के बिना बनाए गए, इन कानूनों पर केन्द्र सरकार पुनर्विचार करे।

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