खेती और बेटी कैसे होगी सुरक्षित जब सरकार ही बनी है दुश्मन - एमएलसी लीलावती कुशवाहा



जौनपुर। समाजवादी पार्टी की नेता एवं सदस्य बिधान परिषद लीलावती कुशवाहा कहती है कि आज केन्द्र एवं उत्तर प्रदेश सत्ता पर ऐसी सरकारें विराजमान है उनके शासन काल में अब खेती और बेटी बचाने का दायित्व आम जनता के उपर आ गया है। क्योंकि सरकार खेती और बेटी दोनों की शत्रु बन चुकी है। यह उदगार श्रीमती कुशवाहा ने यहाँ जनपद आगमन पर एक भेंट वार्ता के दौरान व्यक्त किया है। 
श्रीमती कुशवाहा ने कहा कि आज देश में किसानों की खेती कार्पोरेट घरानों के हाथों सौंपने का घृणित खेल केन्द्र की सरकार द्वारा कृषि बिल ला कर किया जा रहा है। आज देश के अन्नदाता अपनी किसानी करने के बजाय भीषण ठंड में अपनी खेती बचाने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर चौतरफा बैठे आन्दोलन करने को मजबूर हो गये हैं। सरकार कार्पोरेट घरानों के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है उसे देश के किसानों की चिन्ता नहीं है। 
केन्द्र की सत्ता में आशीन अहंकारी सरकार किसानों को ठंड में मरने के लिये छोड़ दिया है। जबकि यह वही किसान है जो पूरे देश को रोटी के लिए अनाज देता है। सरकार में बैठे तानाशाह लोग इन किसानों को आतंकवादी खालिस्तानी आदि कह कर सम्बोधित करते हैं।और जब विपक्ष किसानों के समर्थन में आगे आया तो विपक्ष पर तोहमत मढ़ने का बयान सत्ताधारियों का आने लगा है। जब किसान कोई कानून नहीं मांग रहा है तो जबरिया कृषि बिल लाने की जरूरत क्या और क्यों है। 
इसी तरह आज देश प्रदेश में बेटियां भी असुरक्षित हो गयी है प्रतिदिन प्रदेश में महिला अपराध की घटना हो रही है खास कर बेटियों की अस्मत बहसी दरिन्दों अपराधियों द्वारा तार तार करते हुए उनकी हत्यायें की जा रही है ।प्रदेश की सरकार कागज पर कानून बनाती है लेकिन उसका कोई असर महिला बेटी के साथ अपराध करने वालों पर नहीं है। सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि नाबालिग बेटियों के साथ बलात्कार फिर हत्या जैसी जघन्य घटनायें कारित हो रही है और सरकार केवल फर्जी बयान बाजी करती है। 
श्रीमती कुशवाहा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि असल में सच तो यह है कि सरकार खुद ही महिला और बेटियों के साथ बलात्कार करने वाले बहसी दरिन्दों को बचाने में लगी हुई है। इसका जीता जागता उदाहरण हाथरस की घटना है। वहां पर बेटी के साथ दुष्कर्म कर उसको इतना मारा कि वह काल के गाल में चली गयी। परिजन कहते रहे लेकिन सरकार के इशारे पर स्थानीय पुलिस अपराधियों को बचाने का कुत्सित प्रयास किया लेकिन बाद में न्याय पालिका के आदेश पर मामला सीबीआई को जांच में गया तो दो माह बाद सच सामने आ गया। बलात्कार और हत्या के घटना की पुष्टि हो गयी। 
इस तरह अब उपरोक्त मामलों से साफ हो गया है कि अब खेती और बेटी बचाने का दायित्व आम जनता के उपर आ गया है। केन्द्र और राज्य की सरकार खेती और बेटी को बचाने के बजाय उनका साथ दे रही है जो अपराध में संलिप्त रहते है। 

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