अटल जी के जीवन में 'हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा"की थी स्पष्ट क्षलक -डा अखिलेश्वर शुक्ला ।
जौनपुर।भारतीय पंचांग में 25 दिसंबर को सूर्य के उत्तरायण होने तथा दिन बड़ा होने की शुरुआत का दिन माना जाता है। ईसाई धर्मावलंबी इसे क्रिसमस डे के रूप में मनाते हैं। भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी की जन्म जयंती पुरे देश में सरकारी कार्यक्रम के तहत मनाईं जा रही हैं। मध्य प्रदेश में ग्वालियर जनपद के "शिन्दे की छावनी" नामक स्थान पर 25 दिसम्बर 1924 को ब्रम्हमुहूर्त में एक गरिब ब्राह्मण शिक्षक परिवार में जन्म हुआ था। स्कूल प्रमाण पत्र में जन्म तिथि 25 दिसंबर 1926 अंकित होने के कारण ग्वालियर के श्री नारायण राव तर्टे के एक पञ का जवाब देते हुए अटल जी ने स्पष्टीकरण में लिखा कि"आपका पत्र मिला, बड़ी प्रसन्नता हुई। मेरा जन्म 1924 ईं में ही हुआ था। पिता जी स्कूल में नाम लिखाते समय 1926 ई लिखा दिया था। कम उम्र होगी तो नौकरी ज्यादा कर सकेगा। देर से रिटायर होगा। उन्हें क्या पता था कि मेरी वर्षगांठ मनेगी, और मनाने वाले मुझे छोटा बनाकर पेश करेंगे। अटल जी के पूर्वज आगरा जनपद में बांह तहसील स्थित बटेश्वर गांव से सम्बन्धित रहे हैं। अटल जी चार राज्यों के छः लोकसभा क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र राजनेता थे। पहली बार 1952 में लखनऊ से चुनाव हार गए। दुसरी बार 1957 में तीन लोकसभा क्षेत्रों से (लखनऊ, मथुरा, बलरामपुर) चुनाव लडे। बलरामपुर से विजयश्री मिली। तीसरी बार 1962 में लखनऊ लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्य सभा सदस्य चुने गए। फिर 1967 उपचुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। 1968 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला।उस समय नानाजी देशमुख,बलराज मधोक, लालकृष्ण आडवाणी तथा जौनपुर रियासत के ग्यारहवें नरेश राजा यादवेन्द्र दत्त दुबे आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। अटल जी पांचवीं लोकसभा के लिए 1971 में ग्वालियर से शानदार सफलता प्राप्त करने में सफल रहे।
चुनाव के दौर में जनसंघ के संस्थापक, राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ साथ भाजपा के प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 1977 के जनता पार्टी शासनकाल में विदेशी मामलों के मंत्री रहते संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर पहली बार हिंदी में भाषण देकर राष्ट्रीय मान बढ़ाने का अविस्मरणीय कार्य किया ।
आपातकाल के बाद 1977 तथा 1980 के मध्यावधि चुनाव में नयी दिल्ली सीट से संसद पहुंचे। एक बार फिर ग्वालियर से 1984 में पर्चा दाखिल किया। कांग्रेस ने अंतिम समय में गुना से चुनाव लडने वाले माधव राव सिंधिया को ग्वालियर से प्रत्याशी घोषित कर दिया। अटल जी को पौने दो लाख मतों से हार का सामना करना पड़ा। 1991 के आम चुनाव में लखनऊ व बिदिशा से चुनाव लडे , दोनों क्षेत्रों में चुनाव जीते। विदिशा को छोड़ लखनऊ को अपनाया।1996 में फिर लखनऊ व गांधीनगर सीट से चुनाव लड़े , दोनों क्षेत्रों से विजयी हुए। गांधीनगर को छोड़ लखनऊ को हीं अपना कर्मभूमि बनाया। 1998 तथा 1999 का चुनाव भी लखनऊ से लडा और विजयश्री प्राप्त किया। लखनऊ की जनता अटल जी को अपना चुकी थी।
लेखक- डा.अखिलेश्वर शुक्ला
सन् 1996 में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और माननीय अटल जी 13 दिन के लिए देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहे।1998 में ज्यादा सीटें मिली और अटल जी ने 13 महिने के लिए प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया। अटल जी ने एनडीए का गठन किया । तिसरी बार 1999 में माननीय अटल जी ने सरकार बनाई और कार्यकाल,(पांच वर्ष) 2004 तक कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ पूर्ण कर अपनी कविता को अटल जी ने चरितार्थ कर दिया कि"हार नहीं मानूंगा,रार नहीं ठानूंगा "। इसी प्रकार लखनऊ की जनता को हार-जीत का सामना करते हुए अपनाने के लिए विवश कर दिया। एम्स नयी दिल्ली में 16 अगस्त 2018 को इहलोक छोड़ कर चले गए। दिल्ली की सड़कों पर उमड़े जनसैलाब के साथ ही पुरे देश ने लोकप्रिय राजनेता को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विदा किया। ऐसे राष्ट्र भक्त भारत के सपूत भारत रत्न श्रद्धेय अटल जी को सादर नमन बंदन अभिनंदन।
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