राजस्व विभाग और पुलिस की जंग में थानेदार पड़ा भारी, आला हुक्मरानोंके कथनी करनी में रहा अन्तर
कागजी बाजीगरी के खेल तक सीमित रही अधिकारियों की कार्यवाही
जौनपुर। जनपद के अन्दर जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के कथनी करनी में कितना अन्तर है इसका एक उदाहरण जनपद के थाना मुंगराबादशाहपुर परिसर में विगत 10 अक्टूबर 20 को राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग के थाना प्रभारी के बीच हुआ विवाद तथा उस पर की गयी कागजी कार्यवाही स्पष्ट रूप से प्रशासन और पुलिस अधिकारी को सवालों के कटघरे में खड़ा करती है।
यहाँ घटना के बाबत बतादे कि 10 अक्टूबर 20 थाना समाधान दिवस पर तहसील मछली शहर में तैनात नायब तहसीलदार मानधाता सिंह थाना मुंगराबादशाहपुर में थाना प्रभारी की कुर्सी पर बैठकर जनता की समस्या सुन रहे थे उसी बीच थाना प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह आ गये और नायब तहसीलदार का सहयोग करने के बजाय कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद कर लिए विवाद इतना बढ़ा कि जनता की समस्या सुनने के बजाय अधिकारी वहां से चले गये एक दूसरे को देख लेने तक की बात हो गयी।
नायाब तहसीलदार ने घटना से जिलाधिकारी को अवगत कराया। इसके बाद राजस्व विभाग थाना प्रभारी के खिलाफ लाम बंद हो गया और डीएम को ज्ञापन देते हुए चेतावनी दिया कि थानेदार के खिलाफ कार्यवाही करे अन्यथा राजस्व विभाग के लोग प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। डीएम ने राजस्व विभाग के ज्ञापन के आधार पर मामले की जांच एडीएम वित्त एवं अपर पुलिस अधीक्षक सिटी ग्रामीण की संयुक्त टीम से कराया। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट 21अक्टूबर 20 को सौंपा जिसमें थाना प्रभारी को दोषी ठहराया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी ने 22 अक्टूबर 20 को अपर मुख्य सचिव गृह विभाग उप्र को पत्रांक संख्या 1399 से पत्र भेजते हुए थाना प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह के निलम्बन की संस्तुति करते हुए यह भी लिखा कि भविष्य में उन्हें किसी भी थाने का प्रभार न दिया जाए।
यह सब कार्यवाही कागज पर चलती रही दूसरी ओर थानेदार सत्य प्रकाश सिंह ठाठ से मुंगराबादशाहपुर थाने के प्रभारी बने रहे यानी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इतना ही नहीं जिला हुक्मरान द्वारा थानेदार के खिलाफ कागजी खेल तो खूब किया गया लेकिन अभी चन्द दिवस पहले सत्य प्रकाश सिंह को मुंगराबादशाहपुर थाने से हटाया गया तो थाना जलालपुर का प्रभारी बना दिया गया। यानी सत्य प्रकाश सिंह थाना प्रभारी बने रहे। यहां एक बात और भी साफ करना है कि थानेदार की नियुक्ति भले ही पुलिस अधीक्षक करते हैं लेकिन जिलाधिकारी की संस्तुति के बगैर एसपी का आदेश प्रभावी नहीं हो सकता है ऐसी विधि व्यवस्था है।
अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि जब जिलाधिकारी ने मुंगराबादशाहपुर थाना परिसर की घटना की जांच के बाद अपर मुख्य सचिव गृह विभाग उप्र को पत्र भेज कर सत्य प्रकाश सिंह के निलम्बन की कार्यवाही करने की संस्तुति किये और खुद उन्हें भविष्य में थाना प्रभारी न बनाये जाने की अनुशंसा किया तो थाना जलालपुर का प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह को बनाये जाने पर संस्तुति क्यों और कैसे दे दिया है। इस पूरे प्रकरण को लेकर जिला प्रशासन की कागजी कार्यवाही ने संकेत दिया है कि जिले के शीर्ष अधिकारीयों के कथनी करनी में कितना अन्तर है। यहां पर एक सवाल यह भी है कि क्या थानेदार इतना शक्तिशाली और प्रभावशाली है कि जिले के हुक्मरान कागजी बाजीगरी का खेल करने तक सीमित है सचमुच थानेदार के खिलाफ कार्यवाही का साहस नहीं कर पा रहे हैं। जो भी इतना तो मानना पड़ेगा कि राजस्व विभाग और अधिकारियों पर एक थानेदार भारी पड़ा हुआ है।
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