पंडित दीनदयाल के विचारों आत्मसात करने से आएगी रचनात्मकता -प्रो निर्मला एस मौर्य कुलपति

जौनपुर। "पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की दृष्टि में आत्मनिर्भर भारत" विषय पर एक वेबिनार का आयोजन विश्वविद्यालय में स्थित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ द्वारा किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति 2020 पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानव दर्शन पर आधारित है। एकात्म मानव दर्शन शरीर, आत्मा, बुद्धि और मन में एक समन्वय स्थापित करता है। पंडित जी के एकात्म मानववाद के दर्शन में ही आत्मनिर्भर भारत का रहस्य छुपा हुआ है। पंडित जी ने स्वतंत्र भारत के लिए भारतीय वैदिक संस्कृत के मूल तत्व सर्वे भवन्तु सुखिन:, वसुधैव कुटुंबकम्, त्येन त्यक्तेन भुंजीथा:, सहनाववतु सहनौभुनक्तु से अनुप्राणित एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया। पंडित जी की मान्यता थी कि व्यक्ति परिवार से परिवार समाज से समाज देश से देश दुनिया से और दुनिया ब्रह्मांड से जुड़ा है और सब परस्पर निर्भर हैं। यदि हम भारतीय समाज को पंडित जी के एकात्म मानव दर्शन पर आधारित वैचारिकी की कसौटी पर लाने में सफल हो गए तो समाज का हर व्यक्ति बिना एक दूसरे को नुकसान पहुंचाए रचनात्मक कार्यों में संलग्न हो जाएंगे और सबके कार्य करने का एक ही आधार होगा कि कैसे हर एक के चेहरे पर खुशहाली लाई जाए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान के उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय संयोजक गंगा विचार मंच नमामि गंगे जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार डॉ भरत पाठक ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी का जौनपुर से बहुत लगाव था। दीनदयाल जी की एकात्म मानव दर्शन की वैचारिकी पिछड़े अभावग्रस्त और समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान पर आधारित थी और उनके दर्शन को नानाजी देशमुख ने अलग-अलग प्रकल्प ओं के माध्यम से व्यावहारिक धरातल पर उतारा।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्र ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मेक इन इंडिया वास्तव में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के अर्थनीति पर आधारित है ,जिसमें समाज का अंतिम व्यक्ति भी स्वावलंबी हो, आत्मनिर्भर हो।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान जयप्रभाग्राम के सचिव  रामकृष्ण तिवारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का एकात्म मानव दर्शन यह था कि जब व्यक्ति आत्मनिर्भर होगा तब, व्यक्ति से परिवार आत्मनिर्भर बनेगा, परिवार से समाज और फिर समाज से राष्ट्र आत्मनिर्भर बनेगा।इसके पूर्व कार्यक्रम के संयोजक दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर मानस पांडेय ने वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए वेबीनार के विषय "पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि में आत्मनिर्भर भारत" का प्रवर्तन किया। मानस पांडेय ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तथा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की वैचारिकी को आधार बनाकर देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहे डॉ नितेश जयसवाल  ने वेबीनार से जुड़े हुए सभी विद्वतजनों का आभार व्यक्त किया।संचालन शोध पीठ के सदस्य व आयोजन सचिव डॉ अनुराग मिश्र ने किया।

इस अवसर पर प्रोफेसर एच सी पुरोहित, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह राठौर, डॉ आलोक सिंह, डॉ विजय तिवारी,डॉ.बनिता सिंह, डॉ. प्रियंका सिंह, अभिषेक पाडेय, आशीष जायसवाल  समेत तमाम लोग प्रतिभाग किये।


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