विद्युत वितरण निगम के निजी करण का मामला:बात रही बेनतीजा आन्दोलन रहेगा जारी


  

लखनऊ। यूपी के पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण समेत अन्य मुद्दो को लेकर आंदोलन कर रही यूपी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति और यूपी पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की वार्ता में सहमति बनते-बनते रूकी। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की मौजूदगी में हुई इस वार्ता में पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लेने की सहमति बन गई थी। लेकिन ऊर्जा मंत्री के निर्देश के बावजूद कार्पोरेशन चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले विचार के लिए समय मांगा है।

इधर, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि संघर्ष समिति, पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन और ऊर्जा मंत्री से हुई वार्ता बेनतीजा हो गई है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मियों का कार्य बहिष्कार आंदोलन यथावत जारी रहेगा।


इससे पहले सोमवार को शक्ति भवन में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की मौजूदगी में संघर्ष समिति और पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन के बीच वार्ता हुई। वार्ता में तय किया गया कि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. का निजीकरण नहीं किया जायेगा। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी प्रबंधन वापस लेगा।

वार्ता में तय हुआ कि यूपी के किसी भी निगम का निजीकरण फिलहाल नहीं होगा। निगमों में मौजूदा व्यवस्था के तहत ही सुधार किया जायेगा। जबकि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के राजस्व और लाइन हानियों के लिए कार्पोरेशन प्रबंधन व संघर्ष समिति साथ मे रणनीति बनायेंगे और हर महीने इसकी समीक्षा की जायेगी तथा मार्च 2021 में इसकी फाइनल समीक्षा होगी। इसके अलावा बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं के उत्पीड़न के मामलों को प्रबंधन और संघर्ष समिति मिल कर सुलझायेंगे।

वार्ता के बाद पावर कार्पोरेशन चेयरमैन ने सहमति पत्र पर विचार करने के लिए संघर्ष समिति से समय की मांग की। जिस पर संघर्ष समिति ने अपने आंदोलन को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक जारी रखने का फैसला किया है।

बता दे कि पूर्वाचंल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त करने तथा बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की अन्य समस्याओं को लेकर उप्र. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बीती पहली सितम्बर से अपना आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन में बिजली विभाग से सभी कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियंता और संविदा कर्मचारी शामिल हुए।


इस आंदोलन से पावर कार्पोरेशन व संघर्ष समिति के बीच काफी तल्खी आ गई थी। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने चेतावनी दी थी कि विरोध प्रदर्शन करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत 01 साल की जेल, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत 01 साल की जेल जिसे 02 साल और बढ़ाया जा सकता है तथा पैंडेमिक एक्ट के तहत जुर्माना जैसा दंड दिया जाएगा। जबकि संघर्ष समिति ने प्रबंधन पर पलटवार करते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन के कारण प्रदेश में कहीं भी किसी भी कर्मचारी पर कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी कार्पोरेशन प्रबंधन और चेयरमैन की होगी।

इसके बाद संघर्ष समिति ने पहले चरण में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत सभी जिलों में पहली सितंबर से हर कार्य दिवस में शाम 4ः00 बजे से 5ः00 बजे तक विरोध सभाएं कर निजीकरण वापस लेने के लिए प्रदेश सरकार का ध्यानाकर्षण किया। बीती 15 सितंबर से एक घंटे का कार्य बहिष्कार किया गया और पांच अक्टूबर को पूरे दिन का कार्य बहिष्कार किया।

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