हड़ताल के दूसरे दिन भी आम जन बिजली संकट से रहा बेहाल,सरकारी दावे दिखे बेअसर



जौनपुर। विद्युत विभाग के कर्मचारियों की अनवरत हड़ताल से दूसरे दिन दिन भी जनपद वासियों का जन जीवन बुरी तरह से प्रभावित रहा है। हलांकि जिला प्रशासन के अधिकारी आम जनता को विद्युत संकट से उबारने के कागजी दावे तो बहुत किये लेकिन धरातल पर कहीं भी उनका दावा नजर नहीं आया है। बड़े बुजुर्ग से लेकर बच्चे गर्मी और पानी की समस्या से बिलबिलाते रहे लेकिन इसका कोई असर किसी पर नहीं पड़ा हां हर जिम्मेदार अपनी उपलब्धियों के लिए कागजी बाजीगरी का खेल जरूर करने की हर चन्द कोशिस किया है। 
बतादे 5 अक्टूबर से सरकार के द्वारा बिजली विभाग के निजी करण के प्रस्ताव के खिलाफ विभाग के कर्मचारी नेताओं ने हड़ताल पर जाने और बिजली आपूर्ति बन्द करने का एलान किया तो प्रशासन के शीर्ष अधिकारी द्वारा जनता को हड़ताल के प्रभाव से मुक्त रखने के लिये तमाम दावे किये गये अधिकारियों की ड्यूटी लगायी गयी लेकिन जब विद्युत कर्मचारी हड़ताल पर गये तो प्रशासन की सारी व्यवस्था टांय टांय फिस हो गयी ।
शहर मुख्यालय पर 5 अक्टूबर को लगभग 11  बजे दिन में बिजली गायब हुई तो दूसरे दिन भी पता नहीं चला कि कब आयेगी। समस्या के निदान के लिए प्रशासन द्वारा बनाया गया कन्ट्रोल रूम का फोन नंबर 05452 260666 पर लगे कर्मचारी एक जल्दी फोन नहीं उठाते अगर उठा लिया तो सीधा जबाब हम क्या कर सकते है। तो ऐसे कन्ट्रोल रूम बनाने की जरूरत क्या है। यहां बतादे कि प्रशासन के लोग दावा करते हैं 35 सब स्टेशन बिजली आपूर्ति कर रहे हैं जब मुख्यालय पर हर तरफ जनेटर की आवाज सुनाई दे रही है तो कहाँ बिजली की आपूर्ति हो रही है सहज अनुमान लगा सकते हैं। 
शहर के उत्तरी इलाका जहां पर अहियापुर फीडर से बिजली आपूर्ति होती है अथवा सिविल लाईन इलाका जहां सभी आफिस आदि है यहाँ पर अगर प्रशासन बिजली की आपूर्ति कराने मे सफल नहीं रहा तो उसके दावे पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। 
जिलाधिकारी द्वारा संविदा के बिजली कर्मचारियों को आदेश दिया गया कि वह हड़ताल से वापस काम पर लौटे नहीं तो कार्यवाही कर दी जायेगी फिर कहीं उनको काम नहीं मिल सकेगा। लेकिन संविदा के कर्मचारी डीएम के आदेश को नहीं माने हड़ताल पर विभाग के साथ डटे रहे हैं। हलांकि पूरे दिन आफवाह वायरल रही कि अब बिजली आपूर्ति होगी कि तब आपूर्ति होगी लेकिन सायं काल तक तो आपूर्ति नहीं हो सकी है। जन मानस बेहाल रहा है। हलांकि जनता भी सरकार के नीतियों की आलोचना करती नजर आयी है। 
इस तरह सरकार की हिटलर शाही रवैया के कारण सरकार और बिजली विभाग के कर्मचारियों की लड़ाई में आम जनता बुरी तरह से पिस रही है न तो सरकार को जनता की फिकर है  नहीं बिजली विभाग के लोग ही जनता की चिन्ता कर रहे हैं। 

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